सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 मई)को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह याचिका जनहित के लिए नहीं, बल्कि “पब्लिसिटी स्टंट के लिए” दाखिल की गई है। अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए यहां तक कहा कि “इस तरह की याचिकाएं दाखिल न की जाएं, वरना कार्रवाई की जाएगी।”
जनहित याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिए जाएं कि वे पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में यात्रा करने वाले पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। याचिका में विशेष रूप से पहलगाम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती की भी मांग की गई थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर ही सवाल उठाते हुए स्पष्ट कर दिया कि यह याचिका जनहित की आड़ में प्रचार पाने की कोशिश है। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा, “इस तरह की याचिका आपने क्यों दाखिल की? क्या आप चाहते हैं कि हम आपके खिलाफ कोई आदेश जारी करें?” साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि “आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है।”
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर स्पष्ट रुख अपनाया हो। इससे पहले 1 मई को भी इसी मुद्दे पर दाखिल एक याचिका पर अदालत ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को चेतावनी दी थी कि आतंकी घटनाओं जैसे गंभीर मामलों में गैर-जिम्मेदाराना जनहित याचिकाएं दाखिल करना न केवल अनुचित है बल्कि समाज के लिए भी नुकसानदायक है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इस हमले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह सुरक्षा और आतंकवाद जैसे गंभीर मामलों में सतही और प्रचार-प्रधान याचिकाओं को बढ़ावा नहीं देगा।
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