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Friday, September 20, 2024
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शिवसेना को बड़ा झटका, मिलिंद नार्वेकर थामेंगे शिंदे गुट का हाथ?

शिवसेना गुट में नार्वेकर को दरकिनार कर दिया गया।

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महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रही है। दशहरा रैली को लेकर उद्धव और शिंदे गुट में तनातनी मची हुई थी। हालांकि इसी बीच एक खबर और या रही है दरअसल उद्धव ठाकरे के करीबी मिलिंद नार्वेकर के शिंदे गुट में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक के बाद एक नेता उनका साथ छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो रहा है। इन खबरों पर अब सीएम एकनाथ शिंदे ने खुद प्रतिक्रिया दी है। 

बता दें कि नार्वेकर शिवसेना सचिव हैं साथ ही उद्धव ठाकरे के काफी भरोसमंद माने जाते हैं। ऐसे में अगर वे शिंदे गुट में शामिल होते हैं तो यह ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका होगा। इन खबरों पर अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि मिलिंद नार्वेकर हमारे पास आएंगे या नहीं। मैं आज एक अलग मूड में हूं। मैं कुछ नहीं छिपा रहा हूं। वे बोले कि जो मेरा है वह सब खुला है। हालांकि शिंदे ने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा इसलिए नार्वेकर के शिंदे गुट में शामिल होने की चर्चा तेज है। 

शनिवार को शिंदे गुट के मंत्री गुलाबराव पाटिल एक सभा को संबोधित कर रहे थे जहां उन्होंने एलान करते हुए कहा कि चंपा सिंह के बाद अब मिलिंद नार्वेकर अपने रास्ते पर हैं। दरअसल, शिवसेना में फूट के बाद भी नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से संपर्क बनाए रखा है। शिंदे गणेश उत्सव के दौरान नार्वेकर के घर भी गए थे। शिवसेना में एक शक्तिशाली नेता के तौर पर नार्वेकर माने जाते थे। उन्होंने उद्धव ठाकरे और फडणवीस के बीच मध्यस्थता का रोल भी निभाया था। लेकिन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के सत्ता में आने से नार्वेकर दरकिनार हो गए। भले ही वह ठाकरे की टीम में शामिल रहे, बावजूद इसके उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। 

54 वर्षीय नार्वेकर को उद्धव ठाकरे का राजनीतिक सलाहकार माना जाता है। उन्हें साल 2018 में शिवसेना का सचिव घोषित किया गया था। इसके अलावा नार्वेकर ठाकरे की यात्रा से जुड़ी योजनाओं से लेकर हर काम में प्रबंधक की भूमिका निभाते हैं। इससे पहले उद्धव ठाकरे के दो निजी सहायकों ने भी शिंदे गुट से हाथ मिला लिया है। नवरात्रि पर एक कार्यक्रम के दौरान शिंदे ने मोरेश्वर राजे और चंपा सिंह थापा को सम्मानित किया और अपने गुट में शामिल किया।   

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