दिल्ली में नालों की सफाई और बाढ़ प्रबंधन को लेकर जारी बहस के बीच पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने पूर्ववर्ती केजरीवाल सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने पिछले दस वर्षों में नालों की सफाई को गंभीरता से नहीं लिया और दिल्ली को हर साल जलभराव की स्थिति में धकेल दिया।
वर्मा ने कहा कि दिल्ली में उनकी सरकार बनने के बाद अब हर दिन केजरीवाल सरकार की नाकामियों को जनता के सामने लाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया कि राजधानी की नालियां पूरी तरह जाम थीं और कभी सफाई ही नहीं की गई।
प्रवेश वर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “दिल्ली में सत्ता में आने के बाद से हर दिन हम नई सच्चाई को उजागर कर रहे हैं—नालियां पूरी तरह से जाम हैं, पाइपलाइनों की सफाई कभी नहीं हुई, और पिछले दस सालों में कोई जमीनी काम नहीं हुआ। यह केजरीवाल सरकार की असली विरासत है।” उन्होंने जानकारी दी कि अब तक 70% पीडब्ल्यूडी नालों की सफाई पूरी की जा चुकी है और मानसून से पहले बाकी पर काम जारी है।
प्रवेश वर्मा ने आप नेताओं से सवाल किया कि जब वे सत्ता में थे, तब क्यों नालों की नियमित सफाई नहीं करवाई गई और बाढ़ नियंत्रण के लिए कोई दीर्घकालिक योजना क्यों नहीं बनाई गई। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएंडएफसी) को हर साल करोड़ों रुपये आवंटित किए गए, लेकिन इसके बावजूद हर बारिश में दिल्ली जलमग्न हो जाती है।
“हमें उपदेश देने के बजाय, आप नेताओं को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने वास्तव में क्या किया। जनता को यह बताएं कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद दिल्ली की गलियों में पानी क्यों भर जाता है,” वर्मा ने लिखा।
दिल्ली में हर साल बारिश के समय जलभराव की समस्या सामने आती रही है, जिससे यातायात, स्वास्थ्य और जनजीवन पर बुरा असर पड़ता है। इस वर्ष भी मानसून आने से पहले नालों की सफाई और बाढ़ प्रबंधन की तैयारियों को लेकर सरकार की सक्रियता और विपक्ष की आलोचना ने सियासी तकरार को तेज कर दिया है।
जहां एक ओर पीडब्ल्यूडी मंत्री दावा कर रहे हैं कि वर्तमान सरकार नालों की सफाई और व्यवस्थाओं को युद्ध स्तर पर दुरुस्त कर रही है, वहीं आप पार्टी के ऊपर दिल्ली को ‘जलजमाव की राजधानी’ बना देने के आरोप गहराते जा रहे हैं। आने वाले मानसून में हालात क्या होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा—but फिलहाल, नालों की गहराई में राजनीति का तापमान भी ऊंचा होता जा रहा है।
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