किसानों के आंदोलन का असर व्यापार पर भी देखने को मिल रहा है|किसानों ने दिल्ली समेत इलाके में चक्का जाम कर दिया है| इससे ट्रांसपोटेशन पूरी तरह से ठप हो गया है|खाद्यान व अन्य वस्तुओं की आवाजाही पर भी बुरा प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है|विभिन्न इलाकों में माल ले जाने वाले ट्रक इस समय दिल्ली व आसपास चक्का जाम में फंसे हुए हैं।
देश के व्यापारियों की शीर्ष संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के आंकड़ों के अनुसार किसान आंदोलन से अब तक 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है|इससे सबसे बड़ी मार राजधानी दिल्ली को झेलनी पड़ रही है|यही नहीं किसान आंदोलन का असर देश के अन्य शहरों पर भी दिखाई दे रहा है|
दिल्ली से पड़ोसी राज्यों में सामानों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है। पंजाब, हरियाणा से दिल्ली और पड़ोसी राज्यों को अनाज की आपूर्ति की जाती है।दूध के साथ अन्य सब्जियां भी उपलब्ध कराई जाती हैं। इन सभी पर इस आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है|इस आंदोलन से 5 लाख व्यापारी परेशान हैं|किसान आंदोलन के चलते इन व्यापारियों ने अपना दिल्ली दौरा रद्द कर दिया है|अंबाला शहर का कपड़ा बाजार पूरी तरह से ठप हो गया है|
सड़कें बंद होने से व्यापारियों और उनके व्यापर पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। इसका असर लॉजिस्टिक्स पर भी पड़ रहा है| आंदोलन का असर उत्तर भारत से दक्षिण और पूर्व-पश्चिम क्षेत्र के राज्यों में सप्लाई होने वाले सामान पर भी देखने को मिला है|आपूर्ति और मांग का गणित एकदम प्रभावित हो गया है। कुछ वस्तुएँ महँगी हैं।
किसानों ने पहले भी विरोध किया था|उस समय तीन किसान कानून रद्द किये गये|एमएसपी को लेकर भी उचित निर्णय लेने का वादा किया गया|अगर किसानों की गारंटीशुदा कीमत की मांग मान ली गई तो पहले चरण में ही सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा|सरकार फिलहाल 24 फसलों पर एमएसपी तय करती है|किसान न्यूनतम गारंटी कानून को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। वे न्यूनतम गारंटी चाहते हैं|
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