पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने यात्रियों सहित अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद पाकिस्तान ने करीब दो दिनों तक बचाव अभियान चलाया। पाकिस्तान के अनुसार, इस ऑपरेशन में बलूच लिबरेशन आर्मी के 33 अपहरणकर्ता मारे गए और बंधकों को छुड़ा लिया गया। इस हमले को लेकर पाकिस्तान ने भारत और अफगानिस्तान पर आरोप लगाने की कोशिश की, जिसका दोनों देशों ने कड़ा खंडन किया।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने इस हमले के पीछे भारत का हाथ होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि बलूच विद्रोहियों को भारत से समर्थन मिल रहा है, हालांकि वे इसका कोई सबूत पेश नहीं कर सके। भारत ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम पाकिस्तान द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है। पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं और असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देने के बजाय आत्ममंथन करना चाहिए।”
इसी तरह, तालिबान सरकार ने भी पाकिस्तान के इस दावे को खारिज किया कि इस हमले में अफगानिस्तान स्थित आतंकवादी शामिल थे। अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने कहा, “हम पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता द्वारा बलूचिस्तान में ट्रेन हमले को अफगानिस्तान से जोड़ने वाले निराधार आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। पाकिस्तान को इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए और अपनी सुरक्षा कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
गौरतलब है कि बलूच लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग को लेकर लड़ रही है। वे इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना और सरकारी प्रतिष्ठानों को लगातार निशाना बना रहे हैं। मंगलवार को बीएलए ने जाफर एक्सप्रेस पर बम और बंदूकों से हमला किया था, जिसमें करीब 450 यात्री सवार थे। यह ट्रेन क्वेटा से पेशावर जा रही थी, जब इसे सिब्बी के पास एक सुरंग में रोका गया। बीएलए ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि उन्होंने 200 से अधिक लोगों को बंधक बनाया था, जिनमें ज्यादातर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के कर्मचारी थे।
इस घटना के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और अफगानिस्तान पर आरोप लगाने की कोशिश की, लेकिन इन आरोपों को कोई समर्थन नहीं मिला। पाकिस्तान की सुरक्षा चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं, और बलूचिस्तान में हाल के वर्षों में विद्रोह और हिंसा की घटनाएं तेज हुई हैं।
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