मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के लिए मनोज जरांगे पाटिल ने राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार को 24 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया था|हालांकि, सरकार तय समय सीमा के भीतर इस मुद्दे को हल नहीं कर पाई है।इसलिए राज्य सरकार की ओर से जरांगे को समझने और समय सीमा बढ़वाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं| कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन, उदय सामंत और संदीपन भुमरे ने दो दिन पहले अंतरवली सराती का दौरा किया और मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की। हालांकि यह चर्चा दो घंटे से ज्यादा समय तक चली, लेकिन इस चर्चा से कोई रास्ता नहीं निकल पाया| साथ ही इस चर्चा के दौरान ‘सोइरी’ शब्द पर भी काफी देर तक बहस होती रही|
इस चर्चा के बाद गिरीश महाजन ने कहा, हमारी पिछली बैठक में कुछ बातें लिखित में तय हुई थी| सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन होने के बाद आरक्षण केवल उन्हीं को दिया जाएगा जिनके नाम होंगे और उनके रक्त संबंधी होंगे। पत्नी के रिश्तेदारों को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। पूरे देश में ऐसा कानून है| लेकिन, हमारी पिछली बैठक में कुछ बातें कागज पर ही तय हो गयी थीं| इसमें ‘सोयरे’ शब्द था। जारांगे पाटिल के अनुसार सोयरे का अर्थ है हमारा भोजन। उन्होंने इस शब्द की शाब्दिक व्याख्या की है| लेकिन, नियमों के मुताबिक, रक्त संबंधियों यानी सोयर्स या ब्याहीस के अलावा किसी अन्य को आरक्षण नहीं दिया जा सकता|
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