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Saturday, July 27, 2024
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“अगर दिए गए वचन को निभाया नहीं जा सकता…”, बच्चू कडू की शिंदे सरकार पर कड़ी प्रतिक्रिया!

कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन, उदय सामंत और संदीपन भुमरे ने दो दिन पहले अंतरवली सराती का दौरा किया और मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की। हालांकि यह चर्चा दो घंटे से ज्यादा समय तक चली, लेकिन इस चर्चा से कोई रास्ता नहीं निकल पाया| साथ ही इस चर्चा के दौरान 'सोइरी' शब्द पर भी काफी देर तक बहस होती रही|

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मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के लिए मनोज जरांगे पाटिल ने राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार को 24 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया था|हालांकि, सरकार तय समय सीमा के भीतर इस मुद्दे को हल नहीं कर पाई है।इसलिए राज्य सरकार की ओर से जरांगे को समझने और समय सीमा बढ़वाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं| कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन, उदय सामंत और संदीपन भुमरे ने दो दिन पहले अंतरवली सराती का दौरा किया और मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की। हालांकि यह चर्चा दो घंटे से ज्यादा समय तक चली, लेकिन इस चर्चा से कोई रास्ता नहीं निकल पाया| साथ ही इस चर्चा के दौरान ‘सोइरी’ शब्द पर भी काफी देर तक बहस होती रही|

इस चर्चा के बाद गिरीश महाजन ने कहा, हमारी पिछली बैठक में कुछ बातें लिखित में तय हुई थी| सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन होने के बाद आरक्षण केवल उन्हीं को दिया जाएगा जिनके नाम होंगे और उनके रक्त संबंधी होंगे। पत्नी के रिश्तेदारों को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। पूरे देश में ऐसा कानून है| लेकिन, हमारी पिछली बैठक में कुछ बातें कागज पर ही तय हो गयी थीं| इसमें ‘सोयरे’ शब्द था। जारांगे पाटिल के अनुसार सोयरे का अर्थ है हमारा भोजन। उन्होंने इस शब्द की शाब्दिक व्याख्या की है| लेकिन, नियमों के मुताबिक, रक्त संबंधियों यानी सोयर्स या ब्याहीस के अलावा किसी अन्य को आरक्षण नहीं दिया जा सकता|

राज्य सरकार पिछली चर्चा के दौरान ‘सोयर’ शब्द पर सहमत हुई थी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि ये संभव नहीं है| इसके चलते राज्य सरकार और मनोज जरांगे पाटिल के बीच बातचीत बेनतीजा होती जा रही है| इसे लेकर विधायक बच्चू कडू ने राज्य सरकार को चुनौती दी है| बच्चू कडू ने कहा, सरकार ने मनोज जरांगे को कुछ शब्द दिये थे| लेकिन, दुर्भाग्य है कि सरकार उन वादों को पूरा नहीं कर सकी|
विधायक बच्चू कडू ने कहा, मूल रूप से सोयरे का मतलब है जहां हम अपना सोयरेक रख सकते हैं। मनोज जरांगे कहते हैं कि उनका परिवार उनकी जाति में था​| लेकिन, सरकार ने ‘सोयरे’ शब्द की गलत व्याख्या की​| अतः सबसे पहले सोयर शब्द को परिभाषित करना आवश्यक है। एक बार परिभाषित हो जाने पर, हम आगे बढ़ सकते हैं। पिछली बैठक में हमने सरकार को कुछ शब्द दिये थे, सरकार ने भी हमें कुछ शब्द दिये थे,​ लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किये​| इसलिए मराठा समुदाय को लगता है कि पिछली बार की तरह उन्हें धोखा न दिया जाए​| 
बच्चू कडू ने कहा कि उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात की है और अगर सरकार अभी कुछ कहना चाहती है तो पहले इस बारे में सोचे| यदि कोई वादा किया जाए और वह पूरा न हो सके तो इसका असर सामाजिक मानस पर पड़ता है। लोग सरकार के खिलाफ महसूस करते हैं| हिंसक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगती हैं|
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