पिछले कुछ दिनों से मराठा आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है|मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे पाटिल का सरकार को दिया गया 24 दिसंबर का अल्टीमेटम खत्म हो गया है|अब जहां एक ओर मनोज जरांगे पाटिल ने 20 जनवरी को उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है, वहीं छगन भुजबल भी आक्रामक हो गए हैं|इससे राज्य में सियासी माहौल गरमाता नजर आ रहा है| इस पृष्ठभूमि में मनोज जरांगे पाटिल ने आज मराठा आरक्षण के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट की। राज्य सरकार को बार-बार डेडलाइन क्यों दी जाती है? जरांगे पाटिल ने भी इस सवाल का जवाब दिया है|
छगन भुजबल तोला!: इस अवसर पर बोलते हुए, “ऐसा लगता है कि वह आदमी काम से बाहर चला गया है। मुझे उनसे डर लगता है| भुजबल साहब, आपसे कौन सी संस्कृति सीखनी चाहिए|आज मैं कह रहा हूं सुधर जाओ | राव तुम्हें चौंकाना चाहते थे| आप राज्य में एक विद्वान व्यक्ति हैं। अगर तुम्हें दौरा पड़ा तो मैं बहुत तनाव में आ जाऊँगा। हम नहीं चाहते कि इतना अच्छा आदमी पागल हो जाये। मुझे अब बहुत दुख हो रहा है| यह आदमी क्या करेगा? आपको क्या हुआ? इन शब्दों के साथ मनोज जरांगे ने भुजबल को चुनौती दी|
सरकार से बार-बार मोहलत क्यों?: इस बीच मराठा आरक्षण देने को लेकर सरकार से बार-बार मोहलत क्यों दी जा रही है? जब पत्रकारों ने ये सवाल पूछा तो जरांगे पाटिल ने अपना पक्ष रखा| “पहले मैंने एक महीना दिया था| तब एहसास हुआ कि कमेटी का साक्ष्य लेना जरूरी है| हमने सरकार को 4 दिन का समय दिया था| सरकार ने कहा कि 4 दिन में कानून पास नहीं होगा| आधार के बिना कोई कानून पारित नहीं किया जा सकता| सरकार ने 30 दिन का समय लिया| हमने इसके लिए 40 दिन का समय दिया| उन्होंने रिपोर्ट तैयार की, सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया|
“17 दिसंबर की बैठक निर्णायक”: इस बीच, जरांगे पाटिल ने जोर देकर कहा कि 17 दिसंबर की बैठक निर्णायक थी। “आंदोलन छोटा नहीं है।अगर मैंने वहां कहा होता कि 25 दिसंबर को मुंबई आ जाओ| लोग बदहवास होकर चले जाते, लेकिन दो दिन के भीतर ही यह वापस आना शुरू हो जाता। इससे पहले भी देश में लाखों की संख्या में विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं,लेकिन वह टूट गयी| यह क्यों टूटा, इसके पीछे के कारणों को देखना होगा। मेरे लिए कभी भी कोई निर्णय लेना और समाज को धोखा देना संभव नहीं होगा क्योंकि भावनाओं के पीछे लोग हैं।’ यह 50 किलोमीटर मुंबई जाकर वापस आने का मामला नहीं है| हम वहां जाना चाहते हैं और जीतना चाहते हैं।
“हमारे पास दो अंग हैं। हम भी किसान हैं| कपास लेने आया था| गमले में गेहूं-ज्वार है| अगर हम उन्हें एक पानी देंगे तो हमारी पूरी फसल बर्बाद हो जायेगी। अगर 10-20 दिन में कपास तोड़ लिया तो 70 फीसदी फसल हमारे खेत में गिर जाएगी| मुझे मराठा समाज के इस पक्ष के बारे में भी सोचने की जरूरत है| हमें उसके लिए समय चाहिए| सरकार को एक घंटा भी नहीं दिया गया है और न ही दिया जाएगा।
“हम 1000 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण से ज्यादा दूर नहीं जा सकते। हमारी अंत तक मांग यही है कि हमें ओबीसी आरक्षण में सिर्फ मराठों को आरक्षण मिलेगा. आप देखें कि आपको यह 20 जनवरी के बाद मिलेगा या नहीं”, मनोज जरांगे पाटिल ने कहा।
“मोदी विष्णु का तेरहवां अवतार! जो लोग बाबरी गुंबद ढहने पर भाग गए…”,- संजय राऊत !