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अफगान नागरिकों पर पाकिस्तान की कठोर कार्रवाई, 31 मार्च तक देश छोड़ने का अल्टीमेटम!

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पाकिस्तान सरकार ने देश में रह रहे अफगान नागरिकों को 31 मार्च तक पाकिस्तान छोड़ने का सख्त अल्टीमेटम दिया है। इस फैसले के तहत लाखों अफगान शरणार्थियों को जबरन निष्कासित किए जाने की तैयारी है, जिससे मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने गहरी चिंता जताई है।

पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे अफगान नागरिकों पर पहले से ही कड़ी कार्रवाई चल रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हजारों अफगानों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, उनके घरों को जबरन खाली कराया और यातनाएं दी गईं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इन शरणार्थियों को पाकिस्तान में न तो कोई कानूनी सुरक्षा मिल रही है और न ही उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) और अन्य मानवाधिकार समूहों ने पाकिस्तान सरकार से इस फैसले को टालने और मानवीय आधार पर नीतियों को लागू करने की अपील की है। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि बिना दस्तावेजों वाले सभी अफगान नागरिकों को हर हाल में 31 मार्च तक देश छोड़ना होगा।

रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस अफगान परिवारों को जबरन हिरासत में ले रही है, उनके घरों में घुसकर उत्पीड़न कर रही है, और जबरन उन्हें डिटेंशन कैंपों में भेजा जा रहा है। कई अफगान नागरिकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें वापस भेजने से पहले पाकिस्तान में अमानवीय व्यवहार सहना पड़ रहा है।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान से अपील की है कि वह शरणार्थियों को सम्मानजनक तरीके से वापस भेजे और जबरन कार्रवाई न करे। अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि अचानक लाखों शरणार्थियों को पाकिस्तान से निकालने से मानवीय संकट गहरा सकता है।

भारत में भी अवैध प्रवासियों को लेकर कड़ी नीति अपनाई जाती रही है, लेकिन भारत सरकार हमेशा मानवीय आधार पर कारवाई करने की पक्षधर रही है। पाकिस्तान की तरह भारत में अवैध प्रवासियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई या जबरन निष्कासन की खबरें सामने नहीं आतीं।

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जो अक्सर मानवाधिकारों को लेकर आवाज उठाता है, पाकिस्तान की इस क्रूर नीति पर चुप्पी साधे हुए है। पाकिस्तान ने पहले भी रोहिंग्या शरणार्थियों को स्वीकार करने से इनकार किया था और अब वह अफगान शरणार्थियों को भी बाहर निकाल रहा है।

पाकिस्तान सरकार का यह कदम लाखों अफगान शरणार्थियों के लिए संकट खड़ा कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों को इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए ताकि पाकिस्तान सरकार शरणार्थियों के साथ अमानवीय व्यवहार करना बंद करे और उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी का मौका दे।

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