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Wednesday, December 31, 2025
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PM मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर ने की इज़राइली नेताओं से बात

ईरान-इज़राइल तनाव पर भारत की चिंता, जल्द शांति बहाली की अपील

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ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत ने कूटनीतिक सक्रियता तेज कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इज़राइल के शीर्ष नेताओं से बातचीत कर क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मोदी को फोन कर हालात की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “PM बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात हुई। उन्होंने मौजूदा हालात की जानकारी दी। मैंने भारत की चिंता साझा की और क्षेत्र में जल्द शांति और स्थिरता बहाल करने की आवश्यकता पर बल दिया।”

बयान में यह भी कहा गया कि दोनों नेताओं ने संपर्क में रहने पर सहमति जताई है। यह बातचीत ऐसे समय हुई जब इज़राइल ने ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू किया है, जिसमें इज़राइली सेना ने ईरान पर सटीक और पूर्व-निर्धारित हवाई हमले किए।

इज़राइल के विदेश मंत्री गिदोन साअर ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को फोन कर मौजूदा घटनाक्रम पर चर्चा की। जयशंकर ने एक्स पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “आज दोपहर इज़राइल के विदेश मंत्री गिदोन साअर से बात हुई। उन्होंने मौजूदा हालात पर जानकारी दी।”

विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, “हम ईरान और इज़राइल के बीच हालिया घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। हम स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं, विशेष रूप से उन रिपोर्टों पर जो परमाणु स्थलों पर हमले से जुड़ी हैं।” भारत ने दोनों पक्षों से तनाव न बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि वह संवाद और कूटनीति के मौजूदा माध्यमों का उपयोग करने की सलाह देता है।

भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह दोनों देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है और यदि आवश्यक हो तो हर संभव सहायता देने को तैयार है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत ईरान और इज़राइल, दोनों के साथ घनिष्ठ और मित्रतापूर्ण संबंध रखता है और किसी भी संभावित समाधान में सहयोग देने को तत्पर है।”

तेल अवीव और तेहरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने वैश्विक चिंताओं को हवा दी है। ऐसे में भारत की यह कूटनीतिक पहल यह दर्शाती है कि नई दिल्ली न केवल क्षेत्रीय शांति में रुचि रखता है, बल्कि एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में संतुलित भूमिका निभाने को भी तैयार है। अब यह देखना अहम होगा कि भारत की मध्यस्थता या संवाद की पहल किस हद तक प्रभावी साबित होती है।

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