उत्तर प्रदेश सरकार कैदियों की सजा माफी के मामले में अपने आदेशों की अनदेखी क्यों कर रही है? यह सवाल पूछने पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है| साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के अधिकारियों की भी बात सुनी है| कोर्ट ने मुख्यमंत्री सचिवालय के उन अधिकारियों के नाम भी उजागर करने को कहा है, जिन्होंने कैदी की रिहाई से जुड़ी फाइल को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था|
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव कैदियों की सजा माफ करने के मुद्दे पर निर्णय न लेने का कारण आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं|तो सजा माफ होने की स्थिति में याचिका पर कार्रवाई में देरी के लिए कैदी को मुआवजा कौन देगा? पूछ रहे हैं कि हमारे आदेशों की अनदेखी क्यों की जाती है? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कुछ ऐसे शब्दों में फटकार लगाई है|
कैदियों की सजा माफी के मुद्दे पर फैसले पिछले कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश सरकार के पास लंबित हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले कुछ महीनों से कैदियों की सजा माफी के मामले में कोई फैसला नहीं लिया है| इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट में गया| इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई| इस समय कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस पर फैसला लेकर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपने को कहा था| हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समय पर कोई फैसला नहीं लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई|
फाइल भेजने में देरी क्यों?: सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव ने कोर्ट को बताया कि 10 अप्रैल के आदेश के बाद 15 जून को विभाग को जिलाधिकारी से याचिकाकर्ता की रिहाई का प्रस्ताव मिला| 5 जुलाई को फाइल संबंधित मंत्री के पास भेजी गई। इसे 11 जुलाई को मुख्यमंत्री और 6 अगस्त को राज्यपाल को भेजा गया था| इसके बाद कोर्ट ने सवाल किया कि 10 अप्रैल के आदेश के बाद रिपोर्ट आने में दो महीने क्यों लग गए?तो फिर राज्य ने विस्तार के लिए आवेदन करने का शिष्टाचार भी क्यों नहीं निभाया? हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं चलेगा|
आप तय समय का पालन क्यों नहीं कर रहे?: कोर्ट ने कहा, आप हर मामले में हमारे आदेश की अनदेखी क्यों कर रहे हैं? हम समय-समय पर उत्तर प्रदेश सरकार को समय से पहले रिहाई के मामले पर विचार करने का निर्देश देते हैं। हालांकि, आप तय समय के भीतर इसका पालन नहीं करते हैं। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव ने कहा, ‘संबंधित सभी मामलों की फाइलें अब सक्षम प्राधिकारी के पास हैं| इस मामले को लेकर जल्द ही फैसला लिया जाएगा|’
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