पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों इस्लामिक कट्टरपंथियों के वक्फ संशोधन कानून के विरोध में उत्पात मचाया था। हिंसा के दौरान हिंदू मंदिरों पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमले किए थे। अब ऐसे मंदिरों के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार का कार्य नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की अगुवाई में आरंभ होने जा रहा है। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर इस पहल की घोषणा की और बताया कि यह कार्य 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर शुरू किया जाएगा।
शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जैसा कि वादा किया गया था, अक्षय तृतीया के शुभ दिन 30 अप्रैल को हम मुर्शिदाबाद जिले के उन हिंदू मंदिरों के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार का काम शुरू करेंगे, जो हाल के हमलों में क्षतिग्रस्त हो गए थे। वर्तमान में, इन मंदिरों पर जघन्य, निंदनीय और बर्बर हमलों के निशान हैं।”
यह बयान केवल एक घोषणा नहीं, बल्कि बंगाल के हिंदू समुदाय को एक सशक्त संदेश भी है कि उनके आस्था स्थलों की रक्षा के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति मौजूद है।
शुभेंदु अधिकारी ने अपनी पोस्ट में यह भी दोहराया कि पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों का पूरी निष्ठा से पालन किया जाएगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस कार्य के लिए “हिंदू विरोधी ममता बनर्जी सरकार से कोई वित्तीय सहायता स्वीकार नहीं की जाएगी।” उन्होंने आगे जोड़ा, “मैं दोहराता हूं, सारा खर्च हिंदू खुद वहन करेंगे। मुर्शिदाबाद के हिंदुओं को उनके गांव और पड़ोस के मंदिरों में पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। ये मंदिर हमारे तीर्थ स्थलों जितने ही महत्वपूर्ण हैं।”
यह बयान ममता बनर्जी सरकार पर एक तीखा राजनीतिक प्रहार भी माना जा रहा है, जिसमें अधिकारी ने सरकार पर हिंदू विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया है।
मुर्शिदाबाद में मंदिरों पर हुए हमले पहले भी बड़े विवादों का कारण बने थे। इन घटनाओं ने न केवल स्थानीय हिंदू समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ाई थी, बल्कि राज्य भर में सांप्रदायिक तनाव को भी हवा दी थी। शुभेंदु अधिकारी उन चंद नेताओं में शामिल रहे हैं जिन्होंने इन हमलों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी और बार-बार राज्य सरकार की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए थे। अब मंदिरों के पुनर्निर्माण की घोषणा ने एक बार फिर राजनीतिक ध्रुवीकरण को हवा दी है।
अक्षय तृतीया का दिन, जिसे हिंदू संस्कृति में अत्यंत शुभ माना जाता है, नए कार्यों के आरंभ का प्रतीक है। इस दिन को चुनकर शुभेंदु अधिकारी ने धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का गहरा संदेश देने की कोशिश की है। हिन्दू मान्यता है कि इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य सफलता और समृद्धि की दिशा में बढ़ता है। मंदिरों के पुनर्निर्माण का कार्य न केवल ईंट और पत्थर से भवन खड़ा करने का प्रयास है, बल्कि टूटे हुए विश्वास और आस्था की मरम्मत का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्थानीय हिंदू समुदाय में इस घोषणा को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है। कई लोगों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए एक निर्णायक प्रयास बताया है। माना जा रहा है कि इस पुनर्निर्माण परियोजना के जरिए मुर्शिदाबाद के हिंदू समाज को न केवल भौतिक ढांचे मिलेंगे, बल्कि उनकी धार्मिक पहचान को भी नया बल मिलेगा।
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि शुभेंदु अधिकारी की यह पहल पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नई लकीर खींच सकती है, जहां धर्म और संस्कृति को लेकर भावनात्मक मुद्दे आगामी चुनावों में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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