हज़ारों वर्षों से मिस्र की सभ्यता रहस्यों का गढ़ रही है — पर अब एक नया सवाल दुनिया के पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं को परेशान कर रहा है: क्या गिज़ा के महान पिरामिडों के पास एक विशाल, भूमिगत भूलभुलैया दबी हुई है, जो खुद पिरामिडों से भी बड़ी है?
इस ‘भूलभुलैया’ का सबसे पहला उल्लेख एक प्राचीन यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस ने किया था। उन्होंने लगभग 450 ईसा पूर्व में लिखा था कि उन्होंने एक ऐसी भूमिगत संरचना देखी थी, जिसमें 3,000 से अधिक कमरे थे — कुछ ज़मीन के ऊपर और कुछ ज़मीन के नीचे। उनका दावा था कि यह संरचना इतनी विशाल और अद्भुत थी कि पिरामिडों के मुकाबले यह ज़्यादा प्रभावशाली लगती थी।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक कोई भी इस भूलभुलैया का सटीक स्थान साबित नहीं कर सका है।
20वीं और 21वीं सदी में कुछ पुरातत्वविदों ने हरगह में खोजबीन की, और कुछ रेडार स्कैन से यह संकेत भी मिले कि जमीन के नीचे कोई बड़ा ढांचा हो सकता है। 2008 में एक डच और मिस्री टीम ने बताया कि उन्हें “संभवत: एक बड़े भूमिगत परिसर” के संकेत मिले हैं, लेकिन इस रिपोर्ट को कभी आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मिस्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ इस खोज को दबा रही हैं — या तो धार्मिक और राजनीतिक कारणों से, या क्योंकि यह खोज इतिहास के कई स्थापित तथ्यों को हिला सकती है। क्या ये मिस्रियों की किसी खोई हुई तकनीक का प्रमाण है? क्या वहाँ पुराने राजाओं और पुजारियों की गुप्त कब्रें हैं? या फिर ये कोई ऐसा रहस्य है जिसे जानना मानवता के लिए अभी “समय से पहले” होगा?
भविष्य की खुदाई और तकनीकी शोध ही इन सवालों का जवाब दे पाएंगे। लेकिन तब तक, मिस्र की यह भूली-बिसरी भूलभुलैया इतिहास की सबसे गूढ़ पहेली बनी रहेगी।
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