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2024 चुनाव में चलेगा अडानी दांव?

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संसद में मंगलवार को राहुल गांधी का दिया गया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा इस बात की नहीं हो रही है कि राहुल गांधी ने पीएम मोदी और अडानी को निशाना बनाया। बल्कि इस लिए चर्चा में है कि राहुल का दावा कितना सही है। क्या उन्होंने जो आरोप लगाए उसका उनके पास सबूत है ? अगर सबूत है तो राहुल गांधी को इन सबूतों के साथ सामने आना चाहिए। लेकिन राहुल गांधी ऐसा कुछ नहीं करते हैं। बल्कि ऐसा आरोप वह पहली बार नहीं लगाए हैं।

इससे पहले भी वह संसद से बाहर भारत के उद्योगपतियों पर हमला बोलते रहे हैं। हर व्यक्ति की मर्यादा होती है। हर किसी के लिए एक सीमा बनाई गई है। कहने का मतलब यह है कि राहुल गांधी की दाढ़ी सफ़ेद हो गई हैं, लेकिन उनका दिमाग आज भी छोटे बच्चे के ही जैसा है। वह परिपक्क्व नहीं हुए हैं। उन्हें राजनीति की क ख… भी नहीं आती है। उन्होंने जब भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे थे तब उन्होंने कहा था कि वे पुराने वाले राहुल गांधी को छोड़ आये हैं। लेकिन क्या वे सच में पुराने वाले राहुल गांधी को छोड़ आये। ऐसा तो नहीं लगाता ,क्योंकि संसद में राहुल गांधी ने वही बात कहे जो बाहर कहते नजर आ थे।

भारत जोड़ो यात्रा समाप्त होने के बाद कहा गया कि राहुल गांधी की छवि निखरी है। वे एक गंभीर नेता के रूप में स्थापित होंगे,लेकिन क्या संसद में दिए गए भाषाण ने राहुल गांधी को गंभीर नेता के रूप में स्थापित किया? यह सवाल उन लोगों से जो यह दावा कर रहे थे कि राहुल गांधी अब गंभीर नेता बन गए हैं। तो क्या सच में राहुल गांधी की छवि निखरी है। यह वह सवाल है जिसे कांग्रेस को जवाब देना मुश्किल है। यही बात कांग्रेसी कर भी रहे हैं। संसद में अधीर रंजन भी इस बात को कहा, लेकिन बुधवार को एक दूसरे संदर्भ में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा द्वारा यह कहा जाना कि सेब को सेब ही कहा जाएगा। यह टिप्पणी राहुल गांधी पर सटीक बैठती है। यानी आज भी राहुल गांधी अपनी छवि को तोड़ नहीं पाए हैं। वे एक बार फिर भाषण देते समय अटकते भटकते नजर आये।

बहरहाल, सवाल यह है कि संघ और उद्योगपतियों पर राहुल गांधी क्यों निशाना बना रहे हैं।  इतना ही नहीं वे अंबानी और अडानी को लेकर हमेशा मोदी सरकार को घेरते रहते हैं। आखिर वे ऐसा क्यों करते हैं ? इसकी वजह क्या है ? माना जा रहा है कि लगातार दो टर्म से केंद्र की सत्ता  में बीजेपी काबिज है। मोदी सरकार केंद्र में बिना किसी सहयोगी पार्टी के काबिज है। उसके पास विशाल बहुमत है।इससे कांग्रेस में निराशा है। यह निराशा राहुल गांधी में झलकती भी है।
इस बात को पीएम मोदी ने भी संसद में स्वीकार किया ,उन्होंने कहा कि कांग्रेस में निराशा है। वे राहुल गांधी के बयान के बाद अपना बुधवार को भाषण दे रहे थे।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस बीजेपी के जीत के आंकडे कम करना चाहती है। मतलब, कांग्रेस एक प्लान के तहत बीजेपी के खिलाफ हवा बना रही है। जिसका वह आगामी चुनाव में फ़ायदा उठा सके। लोकसभा का चुनाव ही नहीं इसी साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन चुनावों को लेकर भी कांग्रेस एक रणनीति बनाकर मोदी सरकार पर हमला कर रही है। उसका मानना है कि अडानी ग्रुप से मोदी के संबंध को मुद्दा बनाकर लोकसभा चुनाव में फ़ायदा उठाया जा सकता है।

लेकिन क्या राहुल गांधी का यह दांव कामयाब होगा यह बड़ा सवाल है। क्योंकि, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हुए थे। जहां उन्होंने राहुल गांधी उद्योगपतियों के बारे में बहुत कुछ कहा था। लेकिन राहुल गांधी ने उनकी बातों को दरकिनार कर भारतीय उद्योगपतियों को निशाना बनाते रहे हैं। इतना ही नहीं  राजन ने यह  भी कहा था कि हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती हैं। बावजूद इसके राहुल गांधी ने अग्निवीर का मुद्दा उठाया। जिससे कुछ दिन उपद्रव किया गया।

यही नहीं, राहुल गांधी जिस अडानी ग्रुप पर हमला बोला यह ग्रुप राजस्थान में निवेश कर रहा है।यहां हुए एक कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गौतम अडानी एक साथ नजर आये थे। क्या राहुल गांधी अपनी सरकार से कहेंगे कि अडानी को राजस्थान में निवेश नहीं करना दिया जाए। क्योंकि,उनके पास जो पैसा वह पीएम मोदी के दोस्त का है। लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि राहुल गांधी ये गलती करेंगे। वैसे राहुल गांधी ऐसी कई गलतियां कर चुके हैं की पार्टी आज इतनी गर्त में जा चुकी हैं कि उसका उबरना मुश्किल है।

चुनावी लाभ के लिए 2019 में भी राहुल गांधी ने राफेल का मुद्दा उठाया था। जिसका पार्टी को लाभ नहीं मिला। इस बार भी माना जा रहा है कि राहुल गांधी अडानी को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। लेकिन क्या राहुल गांधी इसका फ़ायदा उठा पाएंगे। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी द्वारा  मोदी और अडानी पर बेबुनियाद आरोप को सिद्ध करना आसान नहीं होगा। क्योंकि, कांग्रेस ही नहीं कई अन्य राजनीति दलों के शासित राज्य में अडानी ग्रुप कारोबार कर रहा है। खबर यह भी है कि बीजेपी अब इस मामले को  मुद्दा बनाने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि बीजेपी  राजस्थान और छत्तीसग़ढ सरकार को अडानी ग्रुप से नाता तोड़ने की चुनौती देगी।

पीएम मोदी ने बुधवार को अपने भाषण में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने बिना अडानी का नाम लिए पूरे भाषण में कांग्रेस पर सवाल खड़ा करते रहे। इतना ही नहीं उन्होंने राहुल गांधी द्वारा हाल में कश्मीर में निकाली गई रैली का जिक्र भी किया और उन्होंने कहा यह तब संभव हो सका जब यहां से धारा 370 हटाई गई। कांग्रेस को मजबूर होकर यह  सुनना पड़ेगा। कि कश्मीर धारा 370 हटाई गई तभी भारत जोड़ो यात्रा यहां सफल हुई। बहरहाल, चुनावी लाभ के लिए खेला गया अडानी मोदी कार्ड 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कैसे फ़ायदा पहुंचाता है। यह अभी देखना होगा। क्योंकि कांग्रेस इससे भी आगे जाने वाली है।

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