1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार पर आधारित फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है और इसे देखकर सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि इंसाफ की एक अनसुनी दास्तान सामने आती है। अक्षय कुमार इसमें वकील सी. शंकरन नायर की भूमिका निभा रहे हैं—वह व्यक्ति जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को उसके सबसे बड़े अपराधों में से एक पर कटघरे में खड़ा किया था।
फिल्म के रिलीज के मौके पर अक्षय कुमार ने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “यह सिर्फ कहानी नहीं, एक तूफान है। सी. शंकरन नायर की यह कहानी मुझे भीतर तक झकझोर गई, क्योंकि बहुत से लोग यह नहीं जानते कि जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद एक शख्स ने ब्रिटिश शासन को कोर्ट में लाकर उनके घमंड को चकनाचूर कर दिया था।” अक्षय ने साफ किया कि वह यह फिल्म एक कलाकार नहीं, बल्कि एक भारतीय नागरिक के रूप में कर रहे हैं। “यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं… यह एक अधूरा हिसाब है, एक दर्दनाक याद है और अंततः एक इंसाफ की जीत है,” उन्होंने लिखा।
फिल्म में कोर्ट रूम ड्रामा के ज़रिए उस संघर्ष को दिखाया गया है, जहां नायर जलियांवाला बाग की सच्चाई को दुनिया के सामने लाते हैं। उनके खिलाफ ब्रिटिश हुकूमत की ओर से खड़ा होते हैं नविल मेककिनले, जिनका किरदार निभा रहे हैं आर. माधवन। दोनों के बीच की बहसें न केवल कानूनी लड़ाई हैं, बल्कि न्याय और अन्याय की गूंज भी हैं।
इस फिल्म में एक बड़ा सरप्राइज अनन्या पांडे का किरदार है, जो अब तक के उनके करियर से बिल्कुल अलग है। वह एक गंभीर और सशक्त भूमिका में नजर आ रही हैं, एक वकील के रूप में जो अपने सिद्धांतों के लिए डटी रहती है। दिलरीत गिल के किरदार में अनन्या की यह नई छवि दर्शकों को चौंका रही है और सराही जा रही है।
करण सिंह त्यागी के निर्देशन में बनी यह फिल्म धर्मा प्रोडक्शंस, केप ऑफ गुड फिल्म्स और लियो मीडिया के बैनर तले बनी है। फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है और इसकी कुल लंबाई 2 घंटे 16 मिनट है। कुछ दृश्यों में सेंसर ने बदलाव भी किए हैं, जो फिल्म की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
18 अप्रैल को रिलीज हुई ‘केसरी चैप्टर 2’ को दर्शकों से काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। सोशल मीडिया पर इसे ‘शानदार’, ‘झकझोर देने वाली’ और ‘जरूरी फिल्म’ बताया जा रहा है। इतिहास को सिर्फ किताबों में पढ़ना एक बात है, लेकिन उसे परदे पर इस तरह से जीवंत होते देखना… शायद ये वही अधूरा हिसाब है, जिसका इंसाफ अब जाकर पूरा होता दिख रहा है।
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