प्रशांत कारुलकर
हम सभी पर्यावरण की चिंता करते हैं, और ऊर्जा क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है। यही कारण है कि अब हम स्वच्छ विकल्पों की ओर देख रहे हैं। और वहीं पर हरित हाइड्रोजन, जो आज सुर्खियों में है, सामने आती है। सरल शब्दों में, हरित हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जिसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सूर्य और पवन से बनी बिजली का उपयोग करके पानी से अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं होता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। यह इसे भविष्य का टिकाऊ ईंधन बनाता है।
हाइड्रोजन पहले से ही इस्तेमाल होती है, लेकिन पारंपरिक रूप से इसे प्राकृतिक गैस और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधनों से बनाया जाता है, जिससे प्रदूषण होता है। यही कारण है कि ग्रे हाइड्रोजन और ब्राउन हाइड्रोजन जैसे शब्द सुने जाते हैं। हरित हाइड्रोजन अलग है क्योंकि यह स्वच्छ तरीके से बनाई जाती है और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
हरित हाइड्रोजन का उपयोग कहां किया जा सकता है?
इसकी संभावनाएं अनंत हैं! यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
परिवहन: हरित हाइड्रोजन का उपयोग फ्यूल सेल वाहनों में बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है, जैसे बस, ट्रक और यहां तक कि हवाई जहाज भी। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और शहरी प्रदूषण कम होगा।
उद्योग: कई औद्योगिक प्रक्रियाओं में गर्मी और बिजली की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान में कोयले और तेल पर निर्भर करती हैं। हरित हाइड्रोजन इन प्रक्रियाओं को डीकार्बोनाइज करने में मदद कर सकती है।
बिजली भंडारण: सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का एक बड़ा नुकसान यह है कि वे मौसम पर निर्भर होते हैं। जब हवा नहीं चलती है या सूरज नहीं चमकता है, तो वे बिजली पैदा नहीं कर सकते हैं। हरित हाइड्रोजन एक समाधान हो सकती है। सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग हरित हाइड्रोजन बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसे बाद में जरूरत पड़ने पर बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्यों महत्वपूर्ण है भारत के लिए हरित हाइड्रोजन?
ऊर्जा स्वतंत्रता: भारत बढ़ते ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हद तक आयातित कोयले पर निर्भर करता है। यह न केवल पर्यावरण पर दबाव डालता है, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार पर भी बोझ बढ़ाता है। हरित हाइड्रोजन स्वदेशी तौर पर उपलब्ध नवीकरणीय स्रोतों से सतत ईंधन उपलब्ध करा सकता है, जिससे भारत ऊर्जा आयात कम कर सकता है और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण: भारत जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से एक है। कोयले पर आधारित ऊर्जा उत्पादन एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनकर्ता है। हरित हाइड्रोजन का उपयोग भारत को कार्बन उत्सर्जन कम करने और पेरिस जलवायु समझौते के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
आर्थिक विकास: हरित हाइड्रोजन से संबंधित उद्योग भारत में लाखों नए रोजगार सृजित कर सकता है। अनुसंधान और विकास, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, और लॉजिस्टिक्स इनमें से कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं। इसके जरिए, भारत वैश्विक हरित हाइड्रोजन बाजार में अग्रणी भूमिका भी निभा सकता है।
बहुमुखी उपयोग: हरित हाइड्रोजन का उपयोग परिवहन, बिजली उत्पादन, उद्योगों में गर्मी और बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इससे न केवल स्वच्छ ऊर्जा का विकल्प, बल्कि स्थिर बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा सकती है।
क्या होगा भविष्य?
भारत सरकार ने हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की है, जोकि इस क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा दे रहा है। निजी क्षेत्र की कंपनियां भी तेजी से जुड़ रही हैं। अनुसंधान और विकास लगातार चल रहा है, जिससे लागत कम होने और तकनीक में सुधार की आशा है। यह सब हमें उम्मीद दिलाता है कि हरित हाइड्रोजन भारत के सतत विकास का एक महत्वपूर्ण चालक हो सकती है। हरित हाइड्रोजन न केवल स्वच्छ ऊर्जा का जरिया है, बल्कि यह आर्थिक विकास और नौकरी सृजन का भी इंजन है।
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