देश के अब तक के सबसे बड़े नक्सल सरेंडर में एक करोड़ रुपए के इनामी नक्सली लीडर रुपेश ने अपने 208 साथियों के साथ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के सामने हथियार डाल दिए। सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष नक्सली शामिल हैं। रुपेश को कार में बैठाकर कार्यक्रम स्थल तक लाया गया, जबकि बाकी नक्सलियों को पुलिस ने बसों के जरिए पुलिस ग्राउंड पहुंचाया। आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सीएम साय ने संविधान की प्रति और गुलाब का फूल भेंट कर मुख्यधारा में स्वागत किया।
लाल आतंक से लंबे समय तक दहशत में रहे बस्तर के लोगों के लिए यह दिन ऐतिहासिक रहा। हजारों की भीड़ ने इस पल को देखने के लिए मैदान में जुटकर तालियों की गूंज से उन नक्सलियों का स्वागत किया जिन्होंने बंदूक छोड़ शांति का रास्ता चुना। मौके पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।
सीएम साय के सामने जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया, उनमें माड़ इलाके के कई कुख्यात कैडर शामिल हैं। इसमें 1 CCM सदस्य, 4 DKSZC कैडर, 1 रिजनल कमेटी मेंबर, 21 DVCM, 61 ACM स्तर के नक्सली, 98 पार्टी मेंबर, और 22 PLGA/RPC सदस्य शामिल हैं। नक्सलियों ने 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया, जिनमें AK-47 राइफल, SLR, इंसास, 303 राइफल, बीजीएल लांचर, 12 बोर गन और सिंगल शॉट हथियार शामिल हैं।
रुपेश को माओवादी संगठन के मिलिट्री विंग का इंटेलिजेंस चीफ माना जाता है। वह दंडकारण्य सब जोनल कमेटी (DKSZC) का सीनियर लीडर रहा है और हाल ही में संगठन ने उसे केंद्रीय कमेटी सदस्य के रूप में पदोन्नत किया था। रुपेश का नाम लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की वांछित सूची में शामिल था।
सरेंडर से पहले रुपेश ने स्वीकार किया कि अब नक्सल आंदोलन की कमर टूट चुकी है। उसने कहा, “अब न लोग बचे हैं, न संसाधन। संघर्ष जारी रखना असंभव है।” बस्तर में इस सामूहिक आत्मसमर्पण को राज्य सरकार ने शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह घटना बताती है कि अब बस्तर हिंसा नहीं, विकास की राह पर आगे बढ़ना चाहता है।
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