प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार, 22 अप्रैल को झारखंड और बिहार के कई जिलों में एक साथ बड़ी कार्रवाई करते हुए जमीन घोटाले से जुड़े मामले में 16 ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की गई, जिसमें बोकारो, रांची और रामगढ़ सहित दोनों राज्यों के अहम स्थानों को निशाना बनाया गया।
इस पूरे मामले की जड़ें बोकारो के मौजा तेतुलिया क्षेत्र में 103 एकड़ संरक्षित वन भूमि की अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अधिग्रहण से जुड़ी हैं। जांच में सामने आया है कि उक्त भूमि के हस्तांतरण में न केवल वन अधिनियमों की अनदेखी की गई, बल्कि कुछ सरकारी अधिकारियों और जमीन माफिया की मिलीभगत से एक सुनियोजित घोटाला रचा गया।
रांची के प्रतिष्ठित हरिओम टावर स्थित राजबीर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के कार्यालय में भी ईडी की टीम ने दस्तावेज खंगाले और कंपनी की भूमिका की गहनता से जांच शुरू की है। जांच एजेंसी के अनुसार, इस घोटाले में कई निजी कंपनियों और प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्तता की आशंका है, और आने वाले दिनों में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक, साल 2024 में बोकारो के सेक्टर-12 थाना में इस जमीन सौदे को लेकर केस दर्ज हुआ था। इसके बाद सीआईडी को मामले की जांच सौंपी गई थी। शुरुआती जांच में यह सामने आया कि बीएसएल (बोकारो स्टील लिमिटेड) और जमीन माफिया के गठजोड़ के चलते वन विभाग को जमीन का वैध हैंडओवर नहीं किया गया। इस अनियमितता के बाद ही प्रवर्तन निदेशालय ने मामले को मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में लेते हुए अपनी स्वतंत्र जांच शुरू की।
ईडी की इस कार्रवाई से जमीन घोटालों में संलिप्त बड़े नेटवर्क के बेनकाब होने की संभावना प्रबल हो गई है। वहीं, संरक्षित वन भूमि को बेचने और खरीदने की इस आपराधिक साजिश ने पर्यावरणीय नियमों की भी धज्जियां उड़ाई हैं। अब देखना होगा कि ईडी की तफ्तीश आगे किन-किन प्रभावशाली चेहरों को बेनकाब करती है और इस भूमि घोटाले की जड़ तक कैसे पहुंचती है।
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