साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय कानून की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले में मुख्य आरोपी मोनोजित मिश्रा के आपराधिक इतिहास का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कोलकाता पुलिस के अनुसार मिश्रा एक हिस्ट्री-शीटर है, जिस पर पहले से कई गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें महिलाओं से छेड़छाड़, हमला, संपत्ति का नुकसान और चोरी जैसे आरोप शामिल हैं।
कलिघाट, कासबा, अलीपुर, हरिदेवपुर और टॉलीगंज थानों में मोनोजित मिश्रा के खिलाफ अलग-अलग मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट अनुसार, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “मोनोजित मिश्रा के खिलाफ पहले से ही कई संगीन मामलों में पुलिस रिकॉर्ड मौजूद हैं। वह एक जाना-पहचाना हिस्ट्री-शीटर है।”
घटना 25 जून की रात साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज परिसर के एक सुरक्षा गार्ड के कमरे में हुई, जब पीड़िता को तीन आरोपियों ने मिलकर साढ़े सात बजे से करीब ग्यारह बजे तक बंधक बनाकर यौन उत्पीड़न किया। मोनोजित मिश्रा (31) ने पहले पीड़िता पर शादी के लिए दबाव बनाया, और इनकार करने पर उसके प्रेमी को जान से मारने और उसके माता-पिता को फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी दी।
मिश्रा खुद को तृणमूल कांग्रेस (TMC) की छात्र शाखा का पूर्व प्रमुख बताता रहा है और सोशल मीडिया पर भी यही दर्शाता है। हालांकि TMC ने अब उससे दूरी बना ली है। मिश्रा अलीपुर कोर्ट में एक प्रैक्टिसिंग क्रिमिनल वकील है और कॉलेज से 4 साल पहले पढ़ाई पूरी कर चुका है। इसके बावजूद वह कॉलेज परिसर में अक्सर सक्रिय रहता था।
मोनोजित मिश्रा के खिलाफ दर्ज पुराने मामलों की फेहरिस्त गंभीर आपराधिक प्रवृत्ति की ओर इशारा करती है। वर्ष 2019 में, उस पर साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज परिसर में एक महिला के कपड़े फाड़ने का आरोप लगा था, जिस मामले में पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल की थी। उसी वर्ष, मिश्रा पर एक दोस्त के घर से गहने, परफ्यूम, म्यूजिक सिस्टम और चश्मा चुराने का मामला भी दर्ज हुआ था, जिसकी एफआईआर नए साल के पहले सप्ताह में हरिदेवपुर थाने में दर्ज की गई थी।
मार्च 2022 में, उस पर कासबा में एक महिला से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था। हाल ही में मई 2024 में, कॉलेज प्रशासन ने उसके खिलाफ सुरक्षा गार्ड के साथ मारपीट करने और कॉलेज परिसर में तोड़फोड़ करने की शिकायत दर्ज कराई थी।
इसके अलावा, टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में भी मोनोजित मिश्रा पर प्रिंसिपल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने का आरोप लगा था, हालांकि उस वक्त कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं किया गया था। ये सभी घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि मोनोजित लगातार आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है और उसके खिलाफ समय-समय पर गंभीर आरोप लगे हैं।
अब तक इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी मोनोजित मिश्रा को सबसे पहले हिरासत में लिया गया। वह पेशे से एक आपराधिक वकील है और खुद को कॉलेज की तृणमूल छात्र इकाई का पूर्व प्रमुख बताता है।
दूसरे और तीसरे आरोपी ज़ैब अहमद (19) और प्रमित मुखर्जी (20) हैं, जो दोनों साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज के छात्र हैं। चौथा आरोपी पिनाकी बनर्जी है, जो कॉलेज में सुरक्षा गार्ड के पद पर कार्यरत था। इन सभी को पीड़िता के बयान, मेडिकल रिपोर्ट और एक वीडियो क्लिप के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान 1.30 मिनट का एक वीडियो एक आरोपी के फोन से मिला है, जो पीड़िता के आरोपों की पुष्टि करता है। इसके अलावा, राज्य संचालित अस्पताल में मेडिकल जांच में भी गैंगरेप की पुष्टि हुई है।
कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) बनाई है, जिसकी अगुवाई असिस्टेंट कमिश्नर रैंक का एक अधिकारी कर रहा है। पुलिस का कहना है कि पीड़िता की शिकायत के हर पहलू की गहराई से जांच की जाएगी।
यह मामला न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे राजनीतिक और कानूनी पहचान के सहारे अपराधी लगातार कॉलेज जैसे शिक्षण संस्थानों में अपना दबदबा बनाए रखते हैं। अब निगाहें कोलकाता पुलिस और SIT की जांच पर टिकी हैं कि वह कितनी पारदर्शिता और सख्ती से न्याय सुनिश्चित करती है।
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