शरद पवार की सलाह दरकिनार, कांग्रेस फिर सावरकर के खिलाफ

शरद पवार की सलाह दरकिनार, कांग्रेस फिर सावरकर के खिलाफ

‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है…’, राहुल गांधी के इस बयान से जुड़े मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन कुछ समय बाद ही राहुल को जमानत दे दी गई। हालांकि सजा के दूसरे दिन ही राहुल गांधी की सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे।

संसद सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जहां उन्होंने कहा था ‘मेरा नाम सावरकर नहीं है, मैं गांधी हूं. मैं माफ़ी नहीं मांगूंगा। ‘राहुल गांधी ने ये बात उस सवाल के जवाब में कही थी जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या वह संसद सदस्यता जाने के बाद उस टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगेंगे जिसे सूरत की अदालत ने मानहानि क़रार दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वीर सावरकर पर दिए गए बयान पर राजनीति गरमा गई। इसके साथ ही सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ मुंबई में शिकायत दर्ज कराने की चेतावनी तक दे डाली थी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान का उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने विरोध किया था। उद्धव ने तो यहां तक कह दिया कि राहुल ने सावरकर पर बयानबाजी बंद नहीं की तो महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी से गठबंधन तोड़ लेंगे। दरअसल उद्धव ठाकरे ने मालेगांव में एक कार्यक्रम के दौरान सावरकर पर राहुल के दिए जा रहे बयानों पर नाराजगी जताई थी। उद्धव ने राहुल को चेतावनी देते हुए कहा- हम सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर राहुल गांधी सावरकर की निंदा करना नहीं छोड़ते हैं तो गठबंधन में दरार आएगी।’

वहीं उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने राहुल गांधी के बयान पर कहा- ‘राहुल का बयान गलत है। वे गांधी जरूर हैं, लेकिन उन्हें सावरकर का नाम घसीटने की जरूरत नहीं है। सावरकर हमारी प्रेरणा हैं। महाराष्ट्र में चल रही हमारी लड़ाई के पीछे छत्रपति शिवाजी महाराज और वीर सावरकर ही प्रेरणा हैं। मैं इस मुद्दे पर खुद राहुल से दिल्ली में आमने-सामने बैठकर बात करूंगा।’ तो वहीं हाल ही में कॉंग्रेस के अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने एक डिनर कार्यक्रम का आयोजन किया जहां उन्होंने संजय राउत को आमंत्रित किया लेकिन राहुल गांधी के बयानों से नाखुश संजय राउत ने इस आमंत्रण को स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया था।

कांग्रेस की सहयोगी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने भी राहुल गांधी को समझाया था कि वे वीर सावरकर के बारे में अपमानजनक बातें न कहें। वरना महाराष्ट्र में एमवीए गठबंधन को बचाना मुश्किल हो जाएगा। तो वहीं मविआ के नेताओं में गठजोड़ बनाएं रखने में शरद पवार ने यहां भूमिका निभाई थी। हालांकि इसके बाद राहुल गांधी ने सावरकर पर विवादित बयान देना बंद कर दिया था, लेकिन अब फिर एक बार राहुल गांधी के वायनाड दौरे के वक्त सावरकर विरोधी पोस्टर लगाए गए।

दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी सांसदी जाने के बाद पहली बार बीते मंगलवार को केरल में अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र वायनाड के दौरे पर रहे। उन्होंने बहन प्रियंका गांधी के साथ वायनाड में रोड शो किया। हालांकि वायनाड दौरे से एक दिन पहले राहुल के सावरकर पर दिए बयान वाले पोस्टर लगवाए। जिसमें राहुल गांधी की तस्वीर के साथ लिखा था मैं सावरकर नहीं जो माफी मांगूं और भाग जाऊ। ये पोस्टर वायनाड़ में सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि ये तमाम पोस्टर कल वायनाड़ के अलग अलग स्थानों पर लगे हुए थे। अब इन पोस्टर्स का मतलब क्या है जिसमें लिखा है मैं सावरकर नहीं हूँ। हालांकि इस तरह के पोस्टर लगने से एक बार फिर शिवसेना और एनसीपी से कांग्रेस का टकराव होने के आसार हैं।

कहा जाता है कि माविआ की तरफ से चेतावनी देने के बाद राहुल गांधी ने आश्वासन दिया था कि वो सावरकर पर ऐसी भाषा का प्रयोग आगे नहीं करेंगे। लेकिन अब जब राहुल गांधी वायनाड़ पहुंचे तो ये पोस्टर उनके स्वागत के लिए लगे हुए थे। सवाल यह है कि सावरकर के नाम का राजनीतिक प्रयोग करना क्या कॉंग्रेस पार्टी सही मानती है। पर सोचनेवाली बात यह है कि वीर सावरकार का अपमान करके राहुल को कहाँ से क्या फायदा होगा? देश का ऐसा कौन सा व्यक्ति या वोटर है जो सावरकर का अपमान राहुल गांधी के द्वारा होते हुए देखकर राहुल गांधी के प्रति प्रभावित हो जाए और राहुल गांधी या काँग्रेस पार्टी को वोट दे दे। राहुल गांधी और कॉंग्रेस हमेशा से ही देश को जोड़ने की बात करते है लेकिन हमारा सवाल यह है कि सावरकर को कायर बता देने से क्या देश जुड़ेगा? इस बारे में बेहद ही गंभीरता से काँग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को सोचने की जरूरत है अन्यथा आनेवाले 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी उआर उनकी पार्टी को काफी बड़ा नुकसान हो सकता है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहन प्रियंका गांधी के साथ वायनाड दौरे पर है। वायनाड में प्रियंका गांधी के साथ जाने और रोड शो निकालने से कुछ कयास भी लग रहे हैं। चर्चा है कि राहुल गांधी को उच्च अदालत से भी मानहानि के मामले में राहत नहीं मिली तो फिर प्रियंका गांधी ही वायनाड के उपचुनाव में उतर सकती हैं। हालांकि ये अटकले लगाए जा रहे है। क्यूंकी प्रियंका गांधी राहुल गांधी के साथ वायनाड़ गई जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। क्यूंकी वो वहाँ से ना ही सांसद है और ना ही विधायक है। लेकिन फिर भी वो साथ में गई। इसका एक मतलब हो सकता है कि उपचुनाव होने की स्थिति में हो सकता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ये तैयारी कर रही हो या कॉंग्रेस पार्टी तैयारी कर रही हो कि वहाँ पर वो उम्मीदवार के तौर पर प्रियंका को चुनाव लड़वा दे।

51 वर्षीय प्रियंका गांधी ने वर्ष 2019 में औपचारिक तौर पर राजनीति में कदम रखा था लेकिन पिछले साढ़े चार सालों में उन्होंने एक भी चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के बाद वो शायद चुनावी राजनीति में भी आ सकती है। यही वजह है कि प्रियंका गांधी ने वायनाड़ में बेहद ही ईमोशनल भाषण दिया। और ये एक येसा भाषण था कि अगर आज उपचुनाव होते है तो लोग राहुल गांधी के प्रति सहानुभूति रखते हुए कॉंग्रेस पार्टी के ही उम्मीदवार को और खास तौर पर यदि वो प्रियंका गांधी वाड्रा हो तो शायद उनकी ही पक्ष में वोट दे देंगे।

हालांकि इसके पहले कयास लगाए जा रहे थे कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में स्वास्थ्य कारणों की वजह से सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेगी। बल्कि प्रियंका गांधी के बरेली से चुनाव लड़ने की आसार थे पर अब वायनाड़ से भी प्रियंका गांधी को लेकर कयास लगाए जाने लगे है कि प्रियंका गांधी यहाँ से चुनाव लड़ सकती है। लेकिन अब तक वायनाड़ में उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसलिए प्रियंका गांधी वायनाड़ से चुनाव लड़ेगी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। दरअसल मुख्य चुनाव आयुक्त के राजीव कुमार ने कहा- खाली सीट पर चुनाव कराने के लिए 6 महीने का वक्त होता है। ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी को 30 दिन का वक्त दिया है ताकि वो ऊपरी अदालत में अपील दायर कर सकें। इसलिए अभी प्रियंका गांधी को लेकर उपचुनाव लड़ने की बात का दावा करना मुश्किल है।

लेकिन राहुल की संसद सदस्यता जाने के मुद्दे के बाद सोनिया और प्रियंका गांधी की पार्टी में सक्रियता बढ़ना तय है। अगर राहुल गांधी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलती है और वायनाड में उपचुनाव होता है, तो उनकी जगह प्रियंका गांधी चुनाव लड़ सकती हैं। फिलहाल प्रियंका गांधी न तो लोकसभा से सांसद है, न राज्यसभा से। वे कांग्रेस में महासचिव के पद पर हैं। ऐसे में राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद बने माहौल को भुनाने के लिए प्रियंका गांधी से अच्छा कैंडिडेट कांग्रेस के पास नहीं होगा।

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