पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद आये एग्जिट पोल में भविष्यवाणी की गई है कि मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) में एक बार फिर बीजेपी सत्ता में लौट रही है। जबकि कांग्रेस को करारी हार का अनुमान लगाया गया है। हालांकि असल नतीजा कल 3 दिसंबर को आएगा। ऐसे में यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कांग्रेस द्वारा किये गए तामझाम के बावजूद वह सत्ता से महरूम क्यों हो रही है। ऐसे कौन से कारण है जिसकी वजह से कांग्रेस सत्तासीन होने से वंचित होने का अनुमान लगाया गया है।
दरअसल, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में सत्ता के लिए कमलनाथ की अगुवाई में पुरजोर कोशिश की। भगवान राम को नकारने वाली कांग्रेस प्रियंका गांधी द्वारा नर्मदा नदी की पूजा कराती दिखी थी। हनुमानजी के शहर भर में कट्स लगाए गए थे। कांग्रेस वह पार्टी हैं जो केवल चुनाव में हिन्दू धर्म के प्रति प्रेम दिखाती है बाद हिन्दू से जुड़े हर मुद्दे नकारना शुरू कर देती है। राहुल गांधी और प्रियंका का हिन्दू प्रेम केवल चुनावी है। कमलनाथ चुनाव में खुद को बजरंबली का भक्त बताते नजर आये थे। कमलनाथने मध्य प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए माथे पर तिलक, कुमकुम लगाने लगे थे। इससे पहले उन्हें कभी इस रूप में नहीं देखा गया।
माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस के हर धार को कुंद करने के लिए अपने तरकश से एक के बाद एक हथियार निकालते रहे और कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने में कामयाब हो सकते हैं। शिवराज सिंह की मुख़्यमंत्री लाड़ली बहना योजना पर महिलाओं ने अपना विश्वास जताया है। इसी का नतीजा है कि शिवराज सिंह चौहान अपनी लाज बचाने में कामयाब हुए। कहा जा रहा है कि अगर एक्जिट पोल, नतीजे में तब्दील हुए थे तो कांग्रेस के वापसी पर एक बार फिर ग्रहण लग सकता है। माई एक्सिस इंडिया, टुडेज चाणक्य और मेट्रिज के एग्जिट पोल में भविष्यवाणी की गई है कि बीजेपी सत्ता में लौट रही है। जबकि कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है और वह बीजेपी से काफी पिछड़ रही है।
जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी है। दरअसल, मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने जोरशोर से जाति आधारित जनगणना कराने की बात कही थी। राहुल गांधी अपनी हर रैली में यह दावा करते नजर आये थे कि जैसे ही कांग्रेस की मध्य प्रदेश में सरकार बनेगी। वैसे ही उनकी सरकार जाति आधारित जनगणना कराएगी और पिछड़ों को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देगी। उन्होंने “जितनी आबादी, उतना हक” का नारा भी दिया था। अब पिछड़ी जातियों को आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस की गले की फांस बन सकता है। एग्जिट पोल के सभी सर्वे में यह सामने आया है कि कांग्रेस का पारंपरिक सवर्ण वोटर राहुल गांधी के इस घोषणा से खुश नहीं थे और वह बीजेपी के साथ चला गया। यानी सवर्णो ने कांग्रेस के बजाय अपना वोट बीजेपी को दिया है। इतना ही नहीं, जिस एग्जिट पोल में यह दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन रही है। उसमें भी कहा गया है कि सामान्य वर्ग ने बीजेपी को वोट दिया है।
गौरतलब है कि, मध्य प्रदेश में ओबीसी बीजेपी का कोर वोट बैंक है। बीजेपी के अभी तक जितने भी मुख्यमंत्री हुए सभी ओबीसी समाज से आये हैं। अगर कांग्रेस की बात करें तो उसके सभी मुख्यमंत्री सवर्ण समुदाय से आये हैं। खुद शिवराज सिंह चौहान ओबीसी समुदाय से आते हैं, जबकि, कांग्रेस के सीएम दावेदार कमलनाथ भी वैश्य समाज से आते हैं। सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि पिछड़ा समाज बीजेपी के साथ जाते हुए दिखाई दे रहा है। इसके अलावा बीजेपी ने कांग्रेस के आदिवासी और दलित समाज के वोटों में भी सेंधमारी की है। कहा जा सकता है कि कांग्रेस का पिछड़ा का कार्ड उलटा पड़ता नजर आ रहा है।
वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस का मध्य प्रदेश में संगठन बेहद कमजोर नजर आया। जानकारों के अनुसार 15 माह छोड़ दे तो बीजेपी यहां 20 साल से सत्ता पर काबिज है और शिवराज सिंह चौहान का यह जादू ही है कि इतने सालों से मध्य प्रदेश की जनता पर राज कर रहें। और वे जनता में मामा नाम से पहचाने जाते हैं। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि कमजोर संगठन के कारण ही कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फ़ायदा नहीं उठा पाई। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी का संगठन कांग्रेस से ज्यादा मजबूत है। बीजेपी हर मोर्चे पर कांग्रेस बीस नजर आई। दूसरी बात यह है कि बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति में भी बदलाव किया था। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतार दिया था। जो अपने आसपास की सीटों को जीतने में मदद किये है। माना जा रहा है कि बीजेपी की यह रणनीति मास्टर स्ट्रोक साबित हुई।
अगर बीजेपी के चुनावी वादे की बात करें तो, पार्टी ने हर मोर्चे पर कांग्रेस से बीस साबित हुई है। बीजेपी ने जहां मध्य प्रदेश में 450 का गैस सिलेंडर देने का वादा किया, तो शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना ने उनकी लाज को बचा लिया। शिवराज सिंह ने चुनाव आचार संहिता लगने से पहले ही लाड़ली योजना के तहत दी जाने वाली 1250 रुपये को बढ़ाकर तीन हजार कर दिया। इतना ही नहीं शिवराज सरकार ने दो क़िस्त महिलाओं के लिए जारी भी कर दिया। इसी का नतीजा है कि बीजेपी को लगभग इस बार के चुनाव में 47 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया। जबकि कांग्रेस ने राज्य सात गारंटियां लेकर चुनावी मैदान में उतरी थी। जिसका उसे कोई फ़ायदा नहीं मिलता दिख रहा है। कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपया देने का किया, लेकिन, कहा जा रहा कि जनता ने अपना मन नहीं बदला।
वहीं, मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच जारी तू तू मै मै भी पार्टी के लिए बुरा साबित हुआ। सपा से विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं होने पर अखिलेश यादव ने कांग्रेस के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे और ताबड़तोड़ रैली की। इसी तरह बसपा ने भी उम्मीदवार उतारे जो कांग्रेस के लिए बेहद खराब साबित हुआ। इन दोनों पार्टीयों ने कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी की जिससे उसे नुकसान हुआ। इसी तरह टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के कई नेता या तो निर्दलीय चुनावी मैदान में थे। या सपा -बसपा के टिकट से चुनाव लड़े हैं। इसका भी खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा है। माना जा रहा है कि ये वे कारण हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान होने का अनुमान है।
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