22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मुस्लिम आतंकियों ने हिंदुओ का नरसंहार किया। मानवता की हदें पार कर हिन्दुओं को उनका धर्म पूछकर मारा गया। उन्हें कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया, जो ना पढ़ पाए उन्हें क़त्ल किया गया, उनके कपडे उतार कर चेक किया गया है वो हिंदू है या फिर मुसलमान। इस जघन्य अपराध में 3 कश्मीरी मुस्लिम आतंकवादी और 2 पाकिस्तानी आतंकवादी शामिल थे। यह हमला पाकिस्तानी आतंकी संघटन लश्कर-ए-तोयबा के संघटन की एक यूनिट द रेजिस्टेंस फ़ोर्स ने कराया। इस हमले के बाद भी मुसलमानों के कट्टर विचारों को कोई दोष नहीं दे रहा है। ना ही मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाया गया है। फिर भी देश में मीडिया का एक ऐसा अंग भी है, जो मुस्लिम समाज पर पर्दा डालकर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की झूठी मालाएं जप रहा है।
वहीं भारत में आज हिंदू समाज बहुसंख्य होने के बावजूद भी दुय्यम दर्जे का न्याय पा रहा है। इस देश में अगर किसी के धार्मिक स्वातंत्र्यता का उल्लंघन होता है—इस देश में अगर किसी के न्याय के रास्ते में रोड़े डाले जाते है तो केवल हिंदू समाज के डाले जातें है। ऐसे में जब पहलगाम का हमला हुआ तो उसने देश भर के लोगों को आक्रोशित किया है, लोगों में इस्लामी कट्टरपंथी हमलें के खिलाफ पिछले कुछ महीनों से ऐसे भी गुस्सा भरा पड़ा है। उसमें पाकिस्तानी तंजिम के इस हमले के बाद माहौल और भी गरमाया है। पाकिस्तान के खिलाफ हिंदू संघटनों सहित सभी भारतीय विरोध प्रदर्शन और मोर्चे निकाल रहें है। लेकीन इन मोर्चों पर हमले कर रहा है भारत का मुस्लिम समाज !
सांताक्रुज रेलवे स्टेशन के पास हिंदू जब पकिस्तान के जिहादी हमले का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए थे तब कुछ मुसलमानों ने उनपर हमला कर दिया। अब इस हमले का कारण आप समझें—असल में हिंदू युवा पाकिस्तान विरोध की घोषणाऐं देते हुए पाकिस्तान और पैलेस्टाइन का झंडा ले आए थे, जिसे वो जमींन पर रखकर उसका अपमान करने वाले थे, हमारें देश में अगर विरोध प्रदर्शन होंगे तो ऐसे ही होंगे। अगर हमारे हिंदू भाइयों को मरवाने के लिए पाकिस्तान ने हमला किया है तो पाकिस्तानी झंडे का अपमान तो होगा ही…लेकीन भारत के मुसलमानों को दिखा पाकिस्तानी झंडे का चाँद तारा—इस विरोध प्रदर्शन का विरोध करने आए मुसलमानों ने कहा की पाकिस्तानी झंडे का अपमान नहीं किया जा सकता। साथ ही पैलेस्टाइन में इस्लमी मस्जिद होने के कारण पैलेस्टाइन के झंडे का भी अपमान नहीं किया जा सकता।
इस झगडे के बीच इस मुस्लिम भीड़ ने जो औजार साथ में लाया था—उससे एक हिंदू लड़के के सिर पर मारकर उसका सिर फोड़ दिया। हिंदुओ पर अंधाधुंद हमला किया गया, आखिरकार हिंदुओ को भी बचावात्मक कारवाई करनी पड़ी। दरम्यान गोलीबार मैदान में बजरंग दल की टीशर्ट पहनकर कोई लड़का घूम रहा था, उसपर भी हमला किया गया। इस मामले में 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इनमें और उन आतंकियों में कोई फर्क नहीं है, जिन्होंने धर्म पूछकर हिंदुओ पर गोलियां चलाई।
पहलगाम के हमले के बाद पश्चिम बंगाल के आसनसोल में वक्फ संशोधन विरोधी मोर्चों में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए थे। कर्नाटक में जब रास्ते पर पाकिस्तान के झंडे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया गया तो कांग्रेस सरकार ने हिंदू प्रदर्शनकारियों को ही डिटेन कर लिया । यानि हमारे देश में हम अपने भाइयों की हत्या का विरोध भी नहीं कर सकते। जिस देश के साथ भारत के 4 युद्ध हो चुके है—-जिसने लगातार देश में आतंकी हमले किए है उस देश के झंडे का अपमान नहीं कर सकते! कर्नाटक के केस में हम समझते है की कांग्रेस मुसलमानों का तुष्टीकरण करती है, लेकीन कांग्रेस पाकिस्तान से इतना प्रेम करती है यह भी साफ़ होने लगा है। या फिर कांग्रेस जानती है की मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए पाकिस्तान से प्रेम दिखाना चाहिए।
कोंग्रस से लेकर तमाम वामपंथी पार्टियां मुसलमानों की इस बात का संरक्षण करती है की वो भारत माता की जय का नारा नहीं लगाते। धार्मिक स्वतंत्रता के चलते उन्हें वामपंथी बेनिफिट दिया जाता है। फिर उनसें यह सवाल क्यों नहीं पूछा जाता की आखिर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों लगाए जाते है ?
यह कोई पहली बार नहीं है की भारत के मुसलमानों का प्रेम पाकिस्तान के लिए जाग उठा है। इससे पहले भी क्रिकेट में पाकिस्तान की जीत पर पटाख़े फोड़े जाते रहें है। हैदराबाद के स्टेडियम में मुसलमानों ने पाकिस्तान जिंदाबाद की घोषणाएं दी है। एक बार तो एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के सामने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगें है। यह पाकिस्तान से इतना ही प्रेम है तो चले क्यों नहीं जाते पाकिस्तान ?
क्योंकि खाना इस देश का ही है—कमाना काफिरों से ही है, लेकीन वफ़ादारी पाकिस्तान से निभानी है। हमने आज तक ऐसा मुस्लिम नहीं देखा जो भारत के संविधान का दिल से आदर करता हो—संविधान और कानून सिर्फ तभी याद आता है–जब डंडे पड़ने वाले हो। संविधान और कानून सिर्फ तभी याद आता है जब कुछ पाना हो।
असम में अभी तक पहलगाम हमलें का जश्न मनाने वाले 16 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह सोशल मीडिया पर पहलगाम के हमलें के लिए जश्न मना रहे थे। सब के सब मुसलमान, यही अगर कर्नाटक होता तो यह गिरफ्तारियां छोडो कोई हिंदू ही उकसाने के आरोप में जेल भेज दिया जाता।
पीके मूवी में एक डायलॉग को झुठलाने की काफी कोशिश की गई की ‘मुसलमान धोखा देता है’, आखिर में आमिर खान मूवी में यही प्रूव करता है की मुसलमान धोखा नहीं देता—पर यह रील दुनिया की बात है, रियल वर्ल्ड में बड़ी संख्या में भारत माता की जय का वफ़ादारी से भरा नारा मुसलमान नहीं लगाते — वो लगाते है पाकिस्तान के नारे। वो भारत के झंडे से ज्यादा पाकिस्तान के झंडे से प्रेम करते है।