शनिवार (19 अप्रैल ) की दोपहर 12:17 बजे अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में भूकंप के तेज़ झटकों ने एक बार फिर से पूरे दक्षिण एशिया को हिला दिया। 5.8 तीव्रता का यह भूकंप भले ही जानमाल की कोई बड़ी हानि लेकर नहीं आया, लेकिन इसके झटके दिल्ली-एनसीआर, जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कई हिस्सों तक महसूस किए गए, जिससे आम नागरिकों में अफरा-तफरी मच गई और भूकंपीय संवेदनशीलता को लेकर फिर से गंभीर चर्चा शुरू हो गई।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में 86 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। इस गहराई के बावजूद, इसके झटके इतने प्रभावशाली थे कि दिल्ली और कश्मीर घाटी सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में लोग अपने घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए। राजधानी दिल्ली में दोपहर के समय आई इस हलचल ने कई बहुमंजिला इमारतों में हलचल मचा दी। गाज़ियाबाद, नोएडा और गुरुग्राम में भी कंपन महसूस की गई।
हालांकि, राहत की बात यह रही कि भारत में कहीं से किसी प्रकार की क्षति या हताहत की खबर नहीं है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (NDRF) ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है और फिलहाल किसी बड़े राहत अभियान की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
भूकंप का प्रभाव भारत तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर, रावलपिंडी, पेशावर और खैबर पख्तूनख्वा के कई इलाकों में भी झटके महसूस किए गए। वहां की स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लोग इमारतों से बाहर निकलकर खुले स्थानों में आ गए थे, लेकिन पाकिस्तान में भी किसी प्रकार की जनहानि की खबर नहीं है।
गौरतलब है कि यह भूकंप पिछले एक सप्ताह में दक्षिण एशिया क्षेत्र में दर्ज की गई दूसरी बड़ी भूकंपीय घटना है। इससे पहले भी हल्की तीव्रता के झटकों ने अफगानिस्तान और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों को हिला दिया था। लगातार आ रहे इन झटकों से विशेषज्ञ यह चेतावनी दे रहे हैं कि हिंदूकुश पर्वतीय क्षेत्र, जो पहले से ही टेक्टोनिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, किसी संभावित बड़े भूकंप की ओर संकेत दे सकता है।
भारतीय मौसम विभाग और भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि भूकंप की भविष्यवाणी संभव नहीं है, लेकिन इन घटनाओं से यह ज़रूर समझना चाहिए कि ज़रूरत से ज़्यादा निर्माण और जनसंख्या दबाव वाले क्षेत्रों में भूकंप से सुरक्षा उपायों को लेकर सजगता जरूरी है।
अब सवाल उठता है कि क्या शहरी नियोजन में भूकंपीय खतरे को गंभीरता से लिया जा रहा है? क्या बहुमंजिला इमारतों की मजबूती की जांच होती है? क्या नागरिकों को आपातकालीन प्रशिक्षण दिया गया है? दिल्ली जैसे भूकंपीय क्षेत्र में जहां करोड़ों लोग रहते हैं, वहां इन सवालों के जवाब समय रहते खोज लेना ही समझदारी होगी।
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