झारखंड के बोकारो ज़िले में एक आदिवासी महिला से बलात्कार की कोशिश के आरोप में पीटे गए 22 वर्षीय अब्दुल कलाम की मौत अब एक राजनीतिक और सामाजिक बहस का मुद्दा बन गई है। इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अब्दुल के परिवार को ₹1 लाख मुआवज़ा देने की घोषणा की, जबकि हेमंत सोरेन सरकार ने ₹4 लाख, एक घर और एक सरकारी नौकरी का वादा किया है।
अब्दुल कलाम पर एक आदिवासी महिला के साथ बलात्कार का प्रयास करने का आरोप था इसी कारण से राहुल गांधी और सोरेन सरकार के कदम से जनता के बीच भावना तीव्र होती जा रही है। घटना 8 मई की है,अब्दुल की बलात्कार की कोशिश के दरम्यान पीड़िता द्वारा किए गए प्रतिरोध और ग्रामीणों के हस्तक्षेप के बाद अब्दुल की पिटाई हुई, और उसकी मौत हो गई।
22 वर्षीय अब्दुल कलाम एक मजदूर था, जो पेंक नारायणपुर थाना क्षेत्र के कडरुखुट्टा गाँव में गया था। वहां वह महावीर मुर्मू की पत्नी को तालाब में नहाते समय देख उसने उसे पीछे से पकड़ लिया, स्तनों को दबाया और जबरन ज़मीन पर पटक कर बलात्कार का प्रयास किया। डरकर पीड़िता ने महिला शोर मचाया, खुद को बचाने के लिए अब्दुल का हाथ काटा, जिसके बाद ग्रामीण इकट्ठा हो गए और उसे पकड़कर एक खंभे से बांधकर पीट दिया। पुलिस के आने पर अब्दुल को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
इसके बाद अब्दुल के चाचा ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि अब्दुल मानसिक रूप से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उसने कुछ किया भी था, तो उसे कानून के तहत सज़ा मिलनी चाहिए थी, ना कि भीड़ द्वारा मौत।
लेकिन इस केस में सबसे बड़ा बवाल तब मचा, जब झारखंड सरकार ने अब्दुल के परिवार को ₹4 लाख, सरकारी नौकरी और एक घर देने का वादा किया। इसके तुरंत बाद राहुल गांधी ने भी ₹1 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा की। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने अब्दुल की माँ रेहाना खातून से मुलाक़ात कर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
सोशल मीडिया पर इस मुआवज़े को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। एक ओर, कुछ यूज़र्स ने राहुल गांधी और राज्य सरकार को बलात्कारी आरोपी को करदाताओं के पैसे से पुरस्कृत करने का दोषी ठहराया। वहीं दूसरी ओर, कुछ लोगों ने अब्दुल को “भीड़ तंत्र की शिकार निर्दोष मुस्लिम युवक” कहकर सहानुभूति जताई।
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कई यूज़र्स ने अब्दुल की धार्मिक पहचान के आधार पर हत्यारों को बचाने का आरोप लगाया, जबकि कुछ ने सवाल पूछा कि क्या महिला की गरिमा और न्याय अब राजनीति के नीचे दब जाएगा? पुलिस ने अब तक रूपन मांझी, बहाराम मांझी, सुखलाल मांझी और बालेश्वर हांसदा को गिरफ्तार किया है। बेरमो के एसडीएम मुकेश मछुआ ने कहा कि सरकार ने मुआवज़े का प्रस्ताव रखा है, लेकिन अब्दुल का परिवार फिलहाल उसे लेने से इनकार कर रहा है और न्याय की मांग कर रहा है।
इस भीड़ न्याय के मामले के लिए एक पद्धति से न्यायदान और प्रशासनिक व्यवस्था की उदासीनता जिम्मेदार है जो जल्द, कठोर और न्यायपूर्ण तरीके से मामलें हल करते नहीं दिखती है। ऐसी व्यवस्था के कारणवश ग्रामीण लोगों में आक्रोश का माहौल है, लोगों की सोच बनती जा रही है की अब्दुल जैसे बलात्कार की कोशिश करने वाले लोग प्रशासनिक व्यवस्था, न्याय से बचते रहेंगे नतीजतन लोगों ने रास्तों पर न्याय करना शुरू किया है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था का चेहरे पर दाग तो लगाता है, लेकीन इसी समय नेताओं और सरकार द्वारा अब्दुल कलाम जैसे लोगों को तुष्टिकरण की भूक मिटाने के लिए दिया जाने वाले मुआवजा उस पीड़ित महिला के साथ अन्याय है, जो अब्दुल के वहशीपन का शिकार हो सकती थी।
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