भारत की गर्मियां जितनी तीखी होती हैं, उतनी ही खतरनाक भी। पारा 45 डिग्री को छूने लगता है और तब शरीर की तापमान-संतुलन प्रणाली बुरी तरह गड़बड़ा जाती है। ऐसे में लू (हीट स्ट्रोक) एक घातक स्थिति बन जाती है, जो अक्सर जानलेवा भी साबित होती है। लेकिन आयुर्वेद में इस संकट से बचने के लिए सरल, प्राकृतिक और प्रभावी उपाय मौजूद हैं।
लू तब लगती है जब अत्यधिक गर्मी और उमस से शरीर की आंतरिक शीतलता बनाए रखने की क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है। लंबे समय तक धूप में रहना, पर्याप्त जल न पीना, या अत्यधिक तैलीय और गरिष्ठ भोजन करना इस जोखिम को और बढ़ा देता है। इसके लक्षणों में मतली, चक्कर, भारी सिरदर्द, तेज़ सांसें और मानसिक भ्रम शामिल हैं। लेकिन आयुर्वेद में मौजूद पांच अहम उपायों से लू से बचाव पूरी तरह संभव है।
1. जल-सेवन करें भरपूर: शरीर को ठंडा रखने के लिए पानी तो ज़रूरी है ही, साथ ही घर में बने शरबत जैसे कोकम, नींबू पानी, मट्ठा और नारियल पानी का सेवन करें। इनमें शरीर को नमीयुक्त बनाए रखने की ताकत होती है।
2. पहनावा हो हल्का: गर्मियों में सूती और ढीले कपड़े पहनें। बाहर निकलते समय छाता, टोपी या गमछा ज़रूर साथ रखें। इससे त्वचा और सिर पर सीधी धूप का असर कम होता है।
3. ठंडा स्नान: बाहर से लौटते ही ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान करें। यह शरीर की गर्मी को तुरंत शांत करता है और थकान को भी दूर करता है।
4. त्वचा की देखभाल: एलोवेरा, पुदीना और बादाम से युक्त आयुर्वेदिक स्किन प्रोडक्ट्स का प्रयोग करें जो त्वचा को ठंडक देते हैं और गर्मी से होने वाले रैशेज़ से बचाते हैं।
5. ठंडक भरा भोजन: मसालेदार, तला हुआ और पैकेज्ड खाना कम करें। इसकी जगह अंगूर, खीरा, तरबूज, दही और हरी सब्ज़ियां खाएं जो शरीर को भीतर से ठंडा रखती हैं।
पतंजलि जैसे विश्वसनीय ब्रांड भी इस दिशा में सहायक बन सकते हैं। पतंजलि नींबू ड्रिंक विटामिन सी और सोडियम से भरपूर है जो शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। वहीं पतंजलि मिंट तुलसी बॉडी क्लींजर में पुदीना और तुलसी की ठंडक मिलती है जो गर्मी में ताजगी देती है।
इस तपती गर्मी में आधुनिक जीवनशैली और परंपरागत आयुर्वेद का तालमेल ही लू से बचाव की सबसे प्रभावशाली राह है। याद रखें—धूप से लड़ना नहीं, समझदारी से उससे बचना ज़रूरी है।
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