तेलंगाना फोन टैपिंग मामले में मुख्य आरोपी राव ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामला सामने आने के बाद से राव फरार चल रहे हैं।
तेलंगाना फोन टैपिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी और तेलंगाना के विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख टी प्रभाकर राव को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण दिया।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने टी प्रभाकर राव को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया और कहा कि उनका पासपोर्ट उन्हें उपलब्ध कराया जाए। शीर्ष अदालत ने राव को यह भी निर्देश दिया कि वह पासपोर्ट प्राप्त होने के तीन दिन के भीतर भारत लौट आएंगे।
तेलंगाना फोन टैपिंग मामले में मुख्य आरोपी राव ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामला सामने आने के बाद से राव फरार चल रहे हैं। उनके अमेरिका में होने का संदेह है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है और उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने राव की अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। मामले की सुनवाई 5 अगस्त को निर्धारित की गई है।
22 मई को हैदराबाद की एक अदालत ने फोन टैपिंग मामले में राव के खिलाफ आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक अगर राव 20 जून तक अदालत में पेश नहीं होते हैं तो उन्हें भगोड़ा घोषित किया जा सकता है।
एसआईबी के निलंबित डीएसपी समेत चार पुलिस अधिकारियों को हैदराबाद पुलिस ने मार्च 2024 में गिरफ्तार किया था। इन पर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने और पिछली बीआरएस सरकार के दौरान कथित तौर पर फोन टैपिंग का आरोप है। बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
पुलिस ने कहा था कि आरोपी उस कथित साजिश का हिस्सा हैं, जिसमें उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के नागरिकों पर निगरानी रखकर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एसआईबी के संसाधनों का दुरुपयोग किया।
पुलिस ने पहले कहा था कि मामले में आरोपी बनाए गए लोगों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कई लोगों के प्रोफाइल अवैध रूप से बनाए । उन पर एसआईबी में गुप्त रूप से निगरानी करने और कुछ लोगों के इशारे पर एक राजनीतिक पार्टी के पक्ष में पक्षपातपूर्ण तरीके से उनका इस्तेमाल करने, अपने अपराधों के सबूतों को गायब करने के लिए रिकॉर्ड नष्ट करने की साजिश रचने का आरोप है।
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