13 जून को जब इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो यह केवल हवाई हमलों तक सीमित नहीं था। इस कार्रवाई के साथ ही एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है – इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने वर्षों की तैयारी के बाद ईरान के भीतर हथियार, सटीक ड्रोन और ऑपरेटिव्स घुसा दिए थे, जिनकी मदद से ईरान की मिसाइलें वहीं से नष्ट की गईं जहां से वे छोड़ी जानी थीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जैसे ही इजरायली जेट्स ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाया, वैसे ही तेहरान के अंदर से ही मिसाइल डिफेंस सिस्टम और लॉन्च साइट्स को उड़ाया गया। हथियार और ड्रोन ईरान में गुप्त रूप से सूटकेस, ट्रकों और कंटेनरों में तस्करी कर लाए गए थे। इन्हें ऐसे स्थानों पर तैनात किया गया था, जहां से वे ईरान के मिसाइल सिस्टम को निष्क्रिय कर सकते थे।
मोसाद के पूर्व रिसर्च निदेशक सिमा शाइन ने कहा, “यह हमला मोसाद की वर्षों की योजना और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने की रणनीति का परिणाम है।”
असोसिटेड प्रेस और वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, मोसाद ने ईरान के भीतर ड्रोन लॉन्च बेस तैयार किया, जहां से हथियारबंद ड्रोन ने तेहरान के पास मिसाइल लॉन्चरों को निशाना बनाया। इसके साथ-साथ AI तकनीक का इस्तेमाल कर इजरायल ने उपग्रह चित्रों और डेटा के आधार पर टारगेट को चिन्हित किया। एक अधिकारी ने बताया कि तीन साल की तैयारी के बाद यह मिशन अंजाम दिया गया, जिसमें इजरायली सेना और खुफिया एजेंसी के बीच बेहद करीबी समन्वय रहा।
ईरान के पूर्व खुफिया मंत्री अली यूनूसी पहले ही चेतावनी दे चुके थे कि “मोसाद हमारे कानों से भी ज़्यादा करीब है।” अब यह कथन खतरनाक रूप से सटीक साबित हो रहा है। 2021 में पूर्व राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने दावा किया था कि ईरान के ‘काउंटर-मोसाद’ डिवीजन का प्रमुख खुद इजरायली एजेंट था। जून 13 के हमले के बाद ईरान ने दर्जनों संदिग्ध मोसाद ऑपरेटिव्स को गिरफ्तार किया है, कुछ को फांसी भी दी जा चुकी है।
13 जून के हमले को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया गया। इसके एक हफ्ते बाद, अमेरिका ने 22 जून को फोर्डो, नतांज और एस्फाहान के परमाणु केंद्रों पर हमला किया। अमेरिका ने बंकर-बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया। ट्रंप ने दावा किया कि ईरान की ये न्यूक्लियर साइट्स “पूरी तरह नष्ट” कर दी गईं।
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल ईरान-इजरायल संघर्ष को एक नए चरण में पहुंचा दिया है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में बड़े क्षेत्रीय युद्ध की आशंका भी बढ़ा दी है। तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं और वैश्विक बाज़ारों में अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
अब जब ईरान को यह एहसास हो गया है कि उसके भीतर ही दुश्मन की आंखें और हथियार मौजूद हैं, तो उसकी चिंताएं केवल इजरायली हमलों से ही नहीं, भीतर की जासूसी से भी होंगी। यही मोसाद की सबसे गहरी और सबसे खतरनाक रणनीति मानी जा रही है।
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