भारत द्वारा 7 से 10 मई के बीच चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न केवल पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था की असलियत उजागर कर दी, बल्कि चीन के बने हथियारों और एयर डिफेंस सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय सेना ने इस दौरान ड्रोन, मिसाइल और बमों के माध्यम से पाकिस्तान के भीतर गहरे हमले किए, जिससे न केवल पाकिस्तान का एयर डिफेंस चरमरा गया, बल्कि ड्रैगन की रक्षा तकनीक भी ध्वस्त होती नजर आई।
भारत के इन हमलों में लाहौर स्थित चीन निर्मित एयर डिफेंस रडार को गंभीर नुकसान हुआ, जबकि पंजाब के चुनियां एयरबेस पर तैनात वाईएलसी-8ई एंटी-स्टील्थ रडार को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। पाकिस्तान ने चीन से मिली एआर-1 लेजर गाइडेड मिसाइलें और ड्रोन भारत की ओर दागे, लेकिन भारतीय डिफेंस सिस्टम ने उन्हें हवा में ही निष्क्रिय कर दिया।
सबसे बड़ी नाकामी चीनी HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम की रही, जिसे चीन ने अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम की टक्कर का बताया था। पाकिस्तान ने इसी सिस्टम को भारत की मिसाइलों और विमानों से रक्षा के लिए तैनात किया था, लेकिन भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक ने इसे जाम कर दिया और भारतीय हमले बिना किसी रुकावट के पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए। चीनी सोशल मीडिया पर इस विफलता पर बहस छिड़ गई है, जहां चीन की असफलताओं के लिए पाकिस्तान की खराब ट्रेनिंग और रणनीतिक तैयारी को दोष दिया जा रहा है।
भारत के होशियारपुर इलाके में चीन की PL-15 मिसाइल ज्यों का त्यों बरामद हुआ, जिसे पाकिस्तान ने दागा था लेकिन यह लक्ष्य तक पहुंचने में असफल रहा । चीन इस मिसाइल को अमेरिका की अत्याधुनिक AIM-120D के समकक्ष बताया गया था।
इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन के जे-10सी और जेएफ-17 ब्लॉक-III जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों को तैनात किया, जो पीएल-15 मिसाइलों से लैस थे। इसके बावजूद ये न तो भारत की एयर स्ट्राइक को रोक पाए और न ही कोई प्रभावी जवाब दे सके। इसके उलट पाकिस्तान ने बिना किसी प्रमाण के दावा किया कि उसने भारत के राफेल समेत कई लड़ाकू विमान गिराए, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं मिला।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की यह सफलता स्वदेशी तकनीक, बेहतर प्रशिक्षण और रणनीतिक सटीकता की देन है। अमेरिका के जाने-माने रक्षा विश्लेषक जॉन स्पेंसर ने कहा, “भारत ने यह दिखा दिया कि आधुनिक रक्षा प्रणाली सिर्फ हमलों को रोकने के लिए नहीं होती, बल्कि दुश्मन की रक्षा प्रणाली में सेंध लगाने की ताकत भी रखती है।”
पाकिस्तान की 82% रक्षा जरूरतें चीन से पूरी होती हैं, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद इन हथियारों की क्षमता और प्रभावशीलता पर पूरी दुनिया में प्रश्नचिह्न लग गया है। चीन की अंतरराष्ट्रीय साख को भी इस विफलता से आघात पहुंचा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की रणनीतिक और तकनीकी श्रेष्ठता का परिचायक बन गया है, जिसने यह साबित कर दिया कि युद्ध जीतने के लिए केवल हथियार नहीं, बल्कि उनका कुशल संचालन, प्रशिक्षण और स्पष्ट रणनीति सबसे अहम होती है। भारत की यह सैन्य सफलता ना सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि चीन के हथियारों की वास्तविकता पर भी कठोर चोट साबित हुई है।
