27 C
Mumbai
Sunday, December 7, 2025
होमदेश दुनियापाकिस्तान में लोकतंत्र पर गहरा संकट आसीम मुनीर की ‘संवैधानिक तख्तापलट’

पाकिस्तान में लोकतंत्र पर गहरा संकट आसीम मुनीर की ‘संवैधानिक तख्तापलट’

सेना प्रमुख को मिल रही अभूतपूर्व शक्तियाँ

Google News Follow

Related

पाकिस्तान में एक ऐसा घटनाक्रम तेजी से सामने आ रहा है, जिसे कई विश्लेषक “चौथा तख्तापलट” कह रहे हैं, लेकिन यह तख्तापलट टैंकों, गोलीबारी या आपातकाल के जरिए नहीं, बल्कि संविधान में बदलाव के माध्यम से हो रहा है। पाकिस्तान की सीनेट में पारित 27वाँ संवैधानिक संशोधन सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर को ऐसे अधिकार देता है, जो अब तक किसी सैन्य शासक न तो जनरल ज़िया-उल-हक़ और न ही परवेज़ मुशर्रफ़ को प्राप्त नहीं थे।

इस संशोधन के जरिए पाकिस्तान में सेना के वर्चस्व को कानूनी रूप से सर्वोच्च बनाया जा रहा है। प्रस्तावित बदलावों के बाद संपूर्ण सैन्य तंत्र, राष्ट्रीय सुरक्षा और यहाँ तक कि परमाणु हथियारों पर भी अंतिम नियंत्रण आसीम मुनीर के पास चला जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि यह पाकिस्तान के नागरिक शासन की शेष बची रूपरेखा को समाप्त कर देगा और सत्ता संतुलन को स्थायी रूप से सेना के पक्ष में बदल देगा।

अब तक पाकिस्तान में तख्तापलट सीधे सत्ता पर कब्ज़े के रूप में हुए—1958 में अयूब खान, 1977 में ज़िया-उल-हक़ और 1999 में परवेज़ मुशर्रफ़ ने सरकारें गिराईं। लेकिन आसीम मुनीर का तरीका अलग है। यहाँ प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की सरकार स्वयं संशोधन आगे बढ़ा रही है, जिससे इसे वैधानिक वैधता मिल रही है। कराची के दैनिक डॉन में वरिष्ठ वकील मखदूम अली खान ने लिखा, “यह संशोधन एक समानांतर सत्ता केंद्र बनाता है, जो कानून से ऊपर और उस कानून का ही संरक्षक बताया जा रहा है।”

संशोधन से क्या बदल जाएगा?
  • राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल की सर्वोच्च कमान समाप्त
  • एक नई पोस्ट Chief of Defence Forces (CDF) बनाई गई — यह पद आसीम मुनीर के लिए विशेष रूप से तैयार माना जा रहा है
  • थलसेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों पर अधिकार
  • परमाणु हथियारों की नियंत्रण कमान भी सेना प्रमुख के हाथों में
  • पाँच-सितारा पदाधिकारियों को जीवनभर कानूनी प्रतिरक्षा

पाकिस्तानी पत्रकार इमरान रियाज़ खान का दावा है कि इस प्रतिरक्षा के बाद आसीम मुनीर के खिलाफ जीवनभर कोई कानूनी मामला दर्ज नहीं किया जा सकेगा।

सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल असीफ़ यासीन मलिक ने चेतावनी दी कि तीनों सेनाओं की पदोन्नति और कमान को एक ही अधिकारी के हाथ में देना संस्थागत असंतुलन पैदा करेगा, जो भविष्य में टकराव और मनोबल गिरने का कारण बन सकता है। भारत में रक्षा बलों पर अंतिम नियंत्रण निर्वाचित सरकार के पास है, जबकि पाकिस्तान में इसके उलट व्यवस्था बन रही है। इससे क्षेत्रीय स्थिरता, रणनीतिक संतुलन और परमाणु निर्णय-प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ सकता है।

पाकिस्तान में यह बदलाव केवल शासन प्रणाली को नहीं बदल रहा, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद को सीधे चुनौती दे रहा है। कई विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह संशोधन लागू होता है, तो पाकिस्तान स्थायी सैन्य राष्ट्र बन जाएगा — वह भी पूरी तरह कानूनी रास्ते से।

यह भी पढ़ें:

“भारत पर टॅक्स कम करेंगे, लेकिन…” डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?

दिल्ली लाल किला ब्लास्ट: पुलवामा कड़ी की पुष्टि के लिए जांच तेज़!

निठारी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को आखिरी लंबित मामले में किया बरी

आतंकवादी हमलों में राइसिन ज़हर का इस्तेमाल कैसे हो सकता था ?

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,707फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें