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Tuesday, April 22, 2025
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रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा विजय दिवस परेड का आमंत्रण!

रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने मीडिया से पुष्टि की कि नई दिल्ली को औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है।

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मॉस्को और नई दिल्ली के बीच कूटनीतिक गर्माहट एक बार फिर सुर्खियों में है। रूस ने आधिकारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी 9 मई को मॉस्को में आयोजित होने वाली 80वीं विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। यह वही ऐतिहासिक दिवस है, जब सोवियत संघ ने द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर जीत दर्ज की थी — और जिसे हर साल रेड स्क्वायर पर भव्य सैन्य परेड के रूप में याद किया जाता है।

रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने मीडिया से पुष्टि की कि नई दिल्ली को औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है। उन्होंने कहा, “इस पर काम जारी है, यह इसी साल होना चाहिए। उन्हें निमंत्रण मिला है।” यह केवल प्रतीकात्मक आमंत्रण नहीं, बल्कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इशारा है — जो यूक्रेन युद्ध के बीच भी रूस और भारत के बीच संवाद के स्थायित्व को दर्शाता है।

हालांकि भारतीय सूत्रों ने संकेत दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं समारोह में शरीक नहीं होंगे। भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विजय दिवस परेड में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, यह संकेत तास न्यूज एजेंसी को सरकारी सूत्रों से मिला है। ऐसे में यह एक कूटनीतिक संतुलन माना जा रहा है — भारत का प्रतिनिधित्व भी हो, लेकिन यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय संवेदनशीलता भी बनी रहे।

यह आमंत्रण ऐसे समय आया है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साल के अंत तक भारत दौरे की योजना बना रहे हैं। यह दौरा खास होगा क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा होगी। हालांकि, दौरे की तारीखों पर अभी स्पष्टता नहीं है, लेकिन दोनों देशों के शीर्ष नेता लगातार बातचीत में हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2024 में रूस की यात्रा की थी, जो पांच साल में उनकी पहली यात्रा थी। उससे पहले वह 2019 में व्लादिवोस्तोक गए थे। 2024 की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया था — जिसे क्रेमलिन ने सहर्ष स्वीकार किया।

इस बार की विजय दिवस परेड सामान्य आयोजन नहीं है — यह यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ है। रेड स्क्वायर पर सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के साथ यह आयोजन रूस की ऐतिहासिक स्मृति, राष्ट्रीय गौरव और वर्तमान वैश्विक सन्दर्भ में उसकी सैन्य प्रतिबद्धता का प्रतीक भी होगा।

रूस ने इस बार कई मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है, लेकिन भारत को भेजा गया निमंत्रण सामरिक साझेदारी का अलग स्तर दिखाता है — एक ऐसा रिश्ता जो यूक्रेन संघर्ष के बाद भी संवाद और संतुलन के जरिए कायम रहा है।

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