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Sunday, June 15, 2025
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SBI रिपोर्ट: आरबीआई लाभांश से राजकोषीय घाटा घटकर 4.2% संभव!

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस लाभांश से सरकार के राजकोषीय घाटे में कमी आने के साथ विकास खर्च में बढ़त की उम्मीद है।

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का बंपर लाभांश देना देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम साबित होगा। इससे सरकार का राजकोषीय घाटा कम हो सकता है। वर्तमान में राजकोषीय घाटा 4.5% है, अब इसके घटकर 4.2% आने की उम्मीदें बढ़ गईं हैं।
भारतीय स्टेट बैंक(एसबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार यह घाटा 20 से 30 आधार अंकों तक कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.2% तक पहुंच सकता है।

2025-26 के केंद्रीय बजट में रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से करीब 2.56 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिलने का अनुमान जताया गया था। हालांकि आरबीआई ने ही उम्मीद से काफी अधिक लाभांश सरकार को दे दिया है।

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह अतिरिक्त राजस्व सरकार को अपने घाटे को कम करने में मदद करेगा। इसके साथ ही प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अधिक खर्च की गुंजाइश बढ़ेगी।
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बंपर लाभांश से सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। इससे, वैश्विक वित्तीय अनिश्चितताओं के बीच बॉन्ड्स की यील्ड कर्व को मैनेज करने मदद मिलेगी। यह रिजर्व बैंक के आकस्मिक जोखिम बफर (सीआर) को बढ़ावा देगा। जिससे इसका वित्तीय लचीलापन बढ़ा जाएगा।

रिपोर्ट में आगे भारतीय रिजर्व बैंक के बड़े सरप्लस के पीछे की गतिविधियों के बारे में भी बताया गया। इसके अनुसार, केंद्रीय बैंक का सरप्लस मुख्य रूप से इसकी तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) संचालन और घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग से ब्याज के रूप में होने वाली आय के कारण संभव हो पाया।

पिछले साल 3 जून से 13 दिसंबर तक, आरबीआई एलएएफ के तहत अवशोषण मोड में था, जो बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त तरलता का प्रतीक है। हालांकि, दिसंबर के मध्य के बाद, तरलता की प्रवृत्ति उलट गई और आरबीआई ने मार्च 2025 के अंत तक सिस्टम में धन डालना शुरू कर दिया। 1 मार्च, 2025 तक प्रणाली तरलता फिर से अधिशेष में बदल गई, जो 1.2 लाख करोड़ रुपये पर थी। 16 दिसंबर 2024 और 28 मार्च 2025 के बीच औसत तरलता घाटा 1.7 लाख करोड़ रुपये था।

रिपोर्ट में आगे बताया किया वित्त वर्ष 2026 में स्थाई तरलता सरप्लस रहने की उम्मीद है। इससे ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) खरीद, आरबीआई के लाभांश हस्तांतरण और 25-30 अरब डॉलर के अनुमानित भुगतान संतुलन (बीओपी) सरप्लस जैसे कारकों से मदद मिल सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक का मजबूत लाभांश सरकार को अपने राजकोषीय लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने और विकास को बढ़ावा देने में मदद देगा।

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