भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों से लगातार गिरावट जारी है। ऐसा देखा गया है कि छोटे निवेशकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है| इतना ही नहीं, देश के कुछ मशहूर व्यक्तिगत निवेशकों को भी तगड़ा झटका लगा है| इन बड़े निवेशकों में से शीर्ष 10 निवेशकों के पोर्टफोलियो मूल्य में 1 अक्टूबर, 2024 के बाद से लगभग 30% या 81,000 करोड़ रुपये की गिरावट आई है।
1 अक्टूबर के बाद से निफ्टी 50 इंडेक्स 11% गिर गया है, जबकि निफ्टी मिडकैप 150 और निफ़्टी स्मॉलकैप इंडेक्स क्रमशः 17% और 22% गिर गए हैं। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की भारतीय इक्विटी की बिक्री है। दूसरी ओर, कई स्मॉलकैप और पेनी स्टॉक 30% से 80% के बीच गिर गए हैं, जिसका असर निवेशकों पर भी पड़ता दिख रहा है।
PrimeInfobase.com के आंकड़ों के मुताबिक, 1 अक्टूबर से डी मार्ट के संस्थापक राधाकिशन दमानी की होल्डिंग्स में 64,000 करोड़ रुपये या 28% की गिरावट आई है। वहीं, दिवंगत राकेश झुनझुनवाला के परिवार के पोर्टफोलियो में 1 अक्टूबर से 19% की गिरावट आई है।
अक्टूबर से आकाश भंसाली के पोर्टफोलियो में 16% की गिरावट आई है। इनमें गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स में सबसे ज्यादा 13% की गिरावट है। हालांकि, उनके दूसरे सबसे बड़े निवेश, वन 97 कम्युनिकेशंस (पेटीएम की मूल कंपनी) में इस अवधि के दौरान 5% की वृद्धि हुई है।
भारतीय शेयर बाजार में मंदी के दौरान पूर्व निवेश बैंकर हेमेंद्र कोठारी की सूचीबद्ध कंपनियों की संपत्ति में 29% की गिरावट आई है। उनकी दो शीर्ष होल्डिंग्स, अल्काइल एमाइन्स केमिकल्स और सोनाटा सॉफ्टवेयर, 1 अक्टूबर से क्रमशः 28% और 33% गिर गई हैं।
वही दूसरी ओर मुकुल अग्रवाल, आशीष कचोलिया और युसुफअली कादर जैसे कुछ निवेशक इस नकारात्मक शेयर बाजार के माहौल में अपने घाटे को सीमित करने में कामयाब रहे हैं। 1 अक्टूबर से बीएसई शेयरों में 40% की बढ़ोतरी के बावजूद परम कैपिटल के मुकुल अग्रवाल का पोर्टफोलियो 6% गिर गया। उनकी अन्य दो शीर्ष होल्डिंग्स, न्यूलैंड लेबोरेटरीज और रेडिको खेतान, इस अवधि के दौरान स्थिर बनी हुई हैं।
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