अगर आप डायबिटीज़ के जेनेटिक रिस्क से परेशान हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। हाल ही में बीएमसी मेडिसिन (BMC Medicine) जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी के अनुसार, जिन लोगों की मांसपेशियों की ताकत अधिक होती है, उनमें टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा 44 प्रतिशत तक कम हो सकता है — चाहे वे आनुवंशिक रूप से इस बीमारी के प्रति संवेदनशील ही क्यों न हों।
हॉन्गकॉन्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा की गई इस स्टडी में यूके बायोबैंक के 1.4 लाख से अधिक लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि मांसपेशियों की ताकत और टाइप 2 डायबिटीज़ के जोखिम के बीच गहरा संबंध है, और मांसपेशियों की मजबूती जेनेटिक रिस्क को काफी हद तक कम कर सकती है।
मसल्स बनाम जेनेटिक्स: नई लड़ाई का मैदान
स्टडी में ‘ग्रिप स्ट्रेंथ’ यानी पकड़ने की ताकत को मापदंड बनाते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया कि अच्छी मांसपेशियों की ताकत रखने वाले लोग, भले ही वे उच्च जेनेटिक रिस्क में हों, फिर भी डायबिटीज़ से अधिक सुरक्षित रह सकते हैं।
हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ मेडिसिन में फिजिकल एक्टिविटी एपिडेमियोलॉजिस्ट और स्टडी के प्रमुख लेखक प्रोफेसर यंगवोन किम ने कहा, “हमारी स्टडी मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का समर्थन करती है, जिनमें वयस्कों को सप्ताह में कम से कम दो दिन मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियों में शामिल होने की सलाह दी जाती है। मसल्स स्ट्रेंथ, डायबिटीज़ से बचाव का एक शक्तिशाली साधन हो सकती है।”
क्यों जरूरी है मांसपेशियों की ताकत?
मांसपेशियों की ताकत न केवल शरीर की कार्यक्षमता बढ़ाती है, बल्कि यह मेटाबॉलिज्म को सुधारती है, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती है और दिल की बीमारियों से भी बचाव करती है। इस स्टडी से यह साबित हुआ कि अच्छी मसल स्ट्रेंथ रखने वाले लोगों में दीर्घकालिक डायबिटीज़ का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है, भले ही उनके जीन्स में यह बीमारी पाई जाती हो।
इस अध्ययन में सात वर्षों से अधिक समय तक प्रतिभागियों की निगरानी की गई, और इस अवधि में 4,743 नए डायबिटीज़ के केस सामने आए। स्टडी के मुताबिक, “उच्च मांसपेशी ताकत वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज़ का रिस्क 44% कम देखा गया, यहां तक कि जब आनुवंशिक जोखिम को भी ध्यान में रखा गया।”
पब्लिक हेल्थ के लिए संदेश
हॉन्गकॉन्ग के पब्लिक हेल्थ गाइडलाइन्स के मुताबिक, व्यस्कों को सप्ताह में 150 से 300 मिनट की एरोबिक एक्सरसाइज़ के साथ-साथ कम से कम दो दिन मसल्स स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़ करने की सलाह दी जाती है। यह स्टडी इस दिशा में एक बड़ा वैज्ञानिक समर्थन देती है।
जीन्स चाहे जो कहें, लेकिन लाइफस्टाइल का असर सबसे बड़ा होता है। रोज़ाना थोड़ी सी एक्सरसाइज़ और मसल्स ट्रेनिंग से आप न केवल शरीर को मजबूत बना सकते हैं, बल्कि एक गंभीर बीमारी जैसे टाइप 2 डायबिटीज़ को भी मात दे सकते हैं। कह सकते हैं — “स्वास्थ्य आपके हाथों में है”, और अब विज्ञान भी यही कह रहा है।
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