हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद नागर विमानन निदेशालय (DGCA) ने भारतीय विमानन सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक नया, समग्र और डेटा-आधारित ‘स्पेशल सेफ्टी ऑडिट फ्रेमवर्क’ जारी किया है। यह ढांचा देश में उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निरीक्षण प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
DGCA ने रविवार (22 जून)को जारी अपने बयान में कहा कि यह फ्रेमवर्क डेटा-संचालित, जोखिम-आधारित और वैश्विक रूप से संरेखित होगा, जिसका उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना है। इसके अंतर्गत न सिर्फ शेड्यूल्ड और नॉन-शेड्यूल्ड एयरलाइंस, बल्कि MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) संगठन, फ्लाइट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (FTO), एयर नेविगेशन सर्विस प्रोवाइडर्स (ANSP) और ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियां (GHA) भी ऑडिट के दायरे में लाई जाएंगी।
डीजीसीए द्वारा जारी नए सेफ्टी ऑडिट फ्रेमवर्क का उद्देश्य भारत के विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों को और अधिक सुदृढ़ करना है। इस फ्रेमवर्क के तहत विशेष रूप से चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पहला, सेफ्टी मैनेजमेंट सिस्टम (SMS), जो सुरक्षा से जुड़ी प्रक्रियाओं और जोखिम प्रबंधन की कार्यप्रणाली को व्यवस्थित और मापनीय बनाता है। दूसरा, ऑपरेशनल एफिशिएंसी, जिसका तात्पर्य है उड़ानों और ग्राउंड संचालन में कुशलता को बढ़ाना ताकि दुर्घटनाओं की आशंका न्यूनतम हो सके।
तीसरा, रेगुलेटरी कंप्लायंस, यानी यह सुनिश्चित करना कि विमानन क्षेत्र की सभी इकाइयाँ नियामक दिशा-निर्देशों और मानकों का पूर्ण रूप से पालन कर रही हैं। और चौथा, क्रू और रिसोर्स मैनेजमेंट प्रोटोकॉल, जो पायलटों, तकनीकी कर्मचारियों और संसाधनों के बीच समन्वय, संचार और जिम्मेदारियों के बंटवारे से संबंधित है, ताकि मानवीय भूलों की संभावना कम हो सके। इन सभी बिंदुओं पर केंद्रित यह फ्रेमवर्क भारत को वैश्विक एविएशन सुरक्षा मानकों की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
ये ऑडिट वरिष्ठ DGCA अधिकारियों की बहु-विषयक टीमों द्वारा किए जाएंगे, जिनमें एयर सेफ्टी, फ्लाइट स्टैंडर्ड्स और लाइसेंसिंग निदेशालयों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। निरीक्षण, दस्तावेज़ समीक्षा, साक्षात्कार और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। सुरक्षा घटनाओं, पूर्ववर्ती गैर-अनुपालनों और जोखिम प्रोफाइल के आधार पर ऑडिट शेड्यूल होंगे।
DGCA ने स्पष्ट किया कि ऑडिट के निष्कर्षों को सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता वाले स्तरों में वर्गीकृत किया जाएगा, जिनके आधार पर चेतावनी से लेकर लाइसेंस निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है। ऑडिट रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखते हुए ओपन रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि एक मजबूत ‘सेफ्टी कल्चर’ विकसित हो सके।
साथ ही, जिन कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी उन्हें अपील का अधिकार भी दिया जाएगा, जो स्थापित नियामक प्रक्रिया के अंतर्गत होगा।
DGCA के इस नए मॉडल को भारत के नागरिक विमानन क्षेत्र में एक ‘ग्लोबल सेफ्टी स्टैंडर्ड’ के रूप में देखा जा रहा है। यह फ्रेमवर्क ना केवल मौजूदा कमियों की पहचान करेगा, बल्कि पूरे सिस्टम में ‘प्रिवेंटिव सेफ्टी अप्रोच’ को स्थापित करने में मदद करेगा।
इस पहल से स्पष्ट है कि भारत अब एविएशन सुरक्षा के क्षेत्र में प्रतिक्रियाशील नहीं, बल्कि अग्रसक्रिय नीति अपनाने की दिशा में बढ़ चुका है। यह कदम यात्रियों के विश्वास को मजबूत करने और भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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