ब्रिटेन का अत्याधुनिक F-35B स्टील्थ फाइटर जेट, जो 14 जून को आपात स्थिति में केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा था, अब 20 दिनों बाद भी उड़ान भरने की स्थिति में नहीं है। लगातार मरम्मत के प्रयास विफल होने के बाद अब इस फाइटर जेट को डिसमेंटल (खोलकर अलग-अलग भागों में बांटना) करके एक विशेष कार्गो विमान के जरिए यूनाइटेड किंगडम वापस ले जाया जाएगा।
F-35B, जो कि दुनिया के सबसे उन्नत और महंगे फाइटर जेट्स में से एक है, सामान्य परिस्थितियों में आसानी से एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जेट को C-17 Globemaster जैसे भारी सैन्य ट्रांसपोर्ट विमान में लोड किया जाएगा। लेकिन चुनौती ये है कि C-17 की चौड़ाई सिर्फ 4 मीटर है, जबकि F-35B की चौड़ाई इससे अधिक है। इसलिए जेट के पंखों को हटाना जरूरी होगा।
एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया, “C-17 के कार्गो होल्ड की लंबाई 26 मीटर है, लेकिन चौड़ाई सिर्फ 4 मीटर है, यानी F-35 को तब तक लोड नहीं किया जा सकता जब तक उसके विंग्स हटाए न जाएं।” F-35B जेट की कीमत 11 करोड़ डॉलर (लगभग 900 करोड़ रुपये) है और इसमें अमेरिका की सबसे आधुनिक स्टील्थ तकनीक मौजूद है। ऐसे में इसके डिसमेंटल के दौरान डाटा लीक या चोरी का गंभीर खतरा है।
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेट का हर स्क्रू एक विशेष कोड के साथ बंद किया जाएगा ताकि कोई भी तकनीकी हिस्सा चोरी न हो सके या बदल न जाए। इसके अलावा, सिर्फ Lockheed Martin द्वारा प्रमाणित इंजीनियर ही इसे खोलने और सुरक्षित ढंग से पैक करने का कार्य कर सकते हैं। ब्रिटिश सेना के अधिकारी पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे, ताकि जेट की स्टील्थ क्षमताएं सुरक्षित रहें।
F-35B जेट ब्रिटेन की रॉयल नेवी का है और HMS Prince of Wales नामक एयरक्राफ्ट कैरियर से संबद्ध है। जेट की सुरक्षा के लिए 6-सदस्यीय ब्रिटिश टीम पहले से ही तिरुवनंतपुरम में तैनात है। अब इसके डिसमेंटल की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए 40 सदस्यीय एविएशन इंजीनियरों की टीम 5 जुलाई को केरल पहुंच चुकी है। हालांकि, डिसमेंटल करने से पहले जेट में कुछ मरम्मत कार्य भी जरूरी होंगे, ताकि उसे सुरक्षित रूप से हटाया जा सके और ट्रांसपोर्ट किया जा सके।
यह पहली बार नहीं है जब F-35 को एयरलिफ्ट करके एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया हो। साल 2019 में, एक F-35 को अमेरिका के Eglin एयरबेस से Hill एयरबेस तक सफलतापूर्वक C-17 Globemaster के जरिए ट्रांसपोर्ट किया गया था।
F-35B की केरल में लैंडिंग ने सिर्फ तकनीकी ही नहीं, बल्कि सुरक्षा और कूटनीतिक स्तर पर भी कई सवाल खड़े किए हैं। अब जबकि इसका डिसमेंटल शुरू होने वाला है, सभी की निगाहें इस जटिल ऑपरेशन पर टिकी हुई हैं — जो भारत में शायद अपने तरह की पहली बड़ी रक्षा लॉजिस्टिक कार्रवाई है।
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