बदलते वैश्विक परिदृश्य और बढ़ती भू-राजनीतिक जटिलताओं के बीच भारत को मिलिट्री हार्डवेयर, स्पेस टेक्नोलॉजी, ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम, विमान वाहक, स्मार्ट ग्रिड और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। यह बात शुक्रवार को जारी एक विस्तृत विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में कही गई।
पीएल कैपिटल द्वारा जारी ‘इंडिया स्ट्रैटेजी रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत को एक वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में उभरने के लिए अपने रक्षा और तकनीकी बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे हिंद महाद्वीप में वैश्विक शक्तियों की भागीदारी बढ़ रही है, वैसे-वैसे भू-राजनीतिक अस्थिरता के खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं।
रिपोर्ट में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए इसे भारत की एयर वॉरफेयर, मिसाइल प्रणाली और ड्रोन तकनीक की प्रगति का संकेतक बताया गया है। इस अभियान ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के रणनीतिक महत्व को उजागर किया है, जिससे देश की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता को बल मिला है।
रिपोर्ट में सिंधु जल संधि के सस्पेंशन का भी विश्लेषण किया गया है। इससे इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC), पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (PSP) और हाइड्रोइलेक्ट्रिक उपकरणों के क्षेत्र में नए अवसरों के खुलने की संभावना बताई गई है।
पीएल कैपिटल का मानना है कि भारत के पड़ोस में बढ़ती वैश्विक भागीदारी के चलते अलग-अलग मोर्चों पर तनाव, संघर्ष, आतंकवाद, और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। ऐसे में भारत के लिए एक सशक्त सैन्य और तकनीकी ढांचा विकसित करना समय की मांग बन गया है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाल ही में भारत का शेयर बाजार दबाव में रहने के बावजूद तेजी से उभरा है। निफ्टी ने बीते छह हफ्तों में 10 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। एफआईआई की बिकवाली के बावजूद यह रिकवरी दर्शाती है कि निवेशकों का भरोसा बरकरार है।
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। खरीफ फसलों में 6.8% और रबी फसलों में 3% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा, जलाशयों का जलस्तर मई में पिछले वर्ष की तुलना में 22% अधिक रहा है, जिससे आगामी फसलों पर सकारात्मक असर पड़ने की संभावना है।
रिपोर्ट स्पष्ट रूप से संकेत देती है कि भारत को आने वाले समय में रक्षा, ऊर्जा और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सुनियोजित और आक्रामक निवेश रणनीति अपनानी होगी, ताकि वह वैश्विक अस्थिरताओं से निपटते हुए एक आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर सके।
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