भारत अब दुनिया के सबसे बड़े स्टील उत्पादक देशों की कतार में स्थायी रूप से खड़ा होने को तैयार है। सरकार की ताज़ा घोषणा के अनुसार, देश 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन क्षमता हासिल कर लेगा। इसके साथ ही, प्रति व्यक्ति स्टील की खपत भी वर्तमान से कहीं अधिक बढ़कर 160 किलोग्राम तक पहुंच जाएगी। यह लक्ष्य न केवल आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूती देगा, बल्कि देश की बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास को नई रफ्तार भी देगा।
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले तीन तिमाहियों (अप्रैल से दिसंबर) में देश में कच्चे स्टील का उत्पादन 110.99 मिलियन टन दर्ज किया गया, जबकि फिनिश्ड स्टील का उत्पादन 106.86 मिलियन टन रहा। यह आंकड़े न सिर्फ मौजूदा उत्पादन क्षमता को दर्शाते हैं, बल्कि भविष्य के लिए संभावनाओं की नींव भी मजबूत करते हैं।
स्टील मंत्रालय ने बताया कि स्पेशियलिटी स्टील के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए लाई गई प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के दूसरे चरण में विभिन्न कंपनियों ने 17,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह पहल भारत को उच्च गुणवत्ता वाले विशेष इस्पात के निर्माण में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी।
देश के स्टील सेक्टर को वैश्विक मंच पर ले जाने के उद्देश्य से मुंबई में 24 अप्रैल को ‘इंडिया स्टील 2025’ नामक एक मेगा इवेंट का आयोजन किया जा रहा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करेंगे। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रूस के डिप्टी इंडस्ट्री और ट्रेड मंत्री, ऑस्ट्रेलिया, मोजाम्बिक और मंगोलिया के राजदूतों समेत कई शीर्ष विदेशी प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेंगे।
इस आयोजन में 12,000 से अधिक व्यापार प्रतिनिधि, 250 एग्ज़ीबिटर्स और 1,200 कॉन्फ्रेंस डेलीगेट्स हिस्सा लेंगे। इसके तहत ज्ञानविनिमय, अंतरराज्यीय और वैश्विक स्तर पर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा होगी। स्टील सेक्टर के विकास के साथ-साथ यह इवेंट भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति को भी बढ़ावा देगा।
मंत्रालय ने जानकारी दी है कि देश-विशिष्ट सत्रों में दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और मंगोलिया जैसे अग्रणी स्टील उत्पादक देशों की भागीदारी होगी। इन सत्रों में ज्वाइंट रिसर्च, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और वैश्विक सप्लाई चेन को मज़बूत बनाने के लिए रणनीतिक योजनाओं पर विचार किया जाएगा।
भारत का यह अभियान न केवल घरेलू निर्माण को गति देगा, बल्कि वैश्विक व्यापार में देश की स्थिति को और सुदृढ़ करेगा। एक ओर जहां यह आर्थिक विकास का संकेत है, वहीं दूसरी ओर यह आत्मनिर्भरता के सपने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
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