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Tuesday, May 20, 2025
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रसोइयों तक ऐसे पहुंचता है ज़हर; FSDA ने 850 किलो नकली पनीर किया जब्त!

मिलावटखोरी खासकर त्योहारों के मौसम में चरम पर पहुंच जाती है, जब मांग बढ़ जाती है और आपूर्तिकर्ता अधिक मुनाफा कमाने के लिए नकली उत्पाद बाजार में उतारते हैं।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नकली खाद्य पदार्थों की आपूर्ति रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) की टीम ने शनिवार(20 अप्रैल) को एक बड़ी और निर्णायक कार्रवाई को अंजाम दिया। अर्जुनगंज क्षेत्र में छापेमारी कर FSDA अधिकारियों ने एक वाहन से 850 किलो नकली पनीर बरामद किया, जिसे मथुरा से लखनऊ लाकर शहर की दुकानों में सप्लाई किया जाना था। इस कार्रवाई ने न केवल मिलावटखोरी के गोरखधंधे को उजागर किया, बल्कि एक बड़े खाद्य संकट को समय रहते टाल भी दिया।

जानकारी के अनुसार, FSDA को गुप्त सूत्रों से सूचना मिली थी कि मथुरा से बड़ी मात्रा में नकली पनीर की खेप लखनऊ लाई जा रही है। सूचना के आधार पर टीम ने अर्जुनगंज इलाके में घेराबंदी कर एक संदिग्ध वाहन की तलाशी ली। जांच में जो सामने आया, वह चौंकाने वाला था—पनीर के नाम पर भारी मात्रा में सिंथेटिक दूध, रिफाइंड तेल और घातक रसायनों से बना नकली उत्पाद वाहन में पाया गया।

FSDA अधिकारियों ने बिना देर किए मौके पर ही उस नकली पनीर को जब्त कर उसे नष्ट करने की कार्रवाई शुरू कर दी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने पुष्टि की कि यह पनीर मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता था। नकली पनीर के निर्माण में जिन रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल हुआ था, वे लंबे समय तक सेवन करने पर पेट की बीमारियों, आंतों के संक्रमण, फूड प्वाइजनिंग, और यहां तक कि लीवर और किडनी फेलियर तक का कारण बन सकते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह की मिलावटखोरी खासकर त्योहारों के मौसम में चरम पर पहुंच जाती है, जब मांग बढ़ जाती है और आपूर्तिकर्ता अधिक मुनाफा कमाने के लिए नकली उत्पाद बाजार में उतारते हैं। हालांकि FSDA की सतर्कता और समय पर कार्रवाई से इस बार एक बड़ी दुर्घटना टल गई।

FSDA ने जनता से भी अपील की है कि वे खाद्य सामग्री खरीदते समय पूरी सतर्कता बरतें। शक होने पर तुरंत विभाग को सूचित करें ताकि इस तरह की आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। विभाग ने यह भी संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में इस तरह के मिलावटखोरों के खिलाफ और भी सघन अभियान चलाया जाएगा।

इस कार्रवाई के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश की खाद्य सुरक्षा एजेंसियां अब नर्म रवैये के बजाय कठोर कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ चुकी हैं। रसोई की पवित्रता और आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह घटना न केवल खाद्य सुरक्षा व्यवस्था की आंखें खोलने वाली है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी एक चेतावनी है कि ‘सस्ता और जल्दी’ का लालच कहीं सेहत के लिए भारी न पड़ जाए।

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