भारत की पश्चिमी सीमा पर तनावपूर्ण हालात के बीच गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति पर एक विस्तृत ब्रीफिंग दी। प्रधानमंत्री आवास पर करीब एक घंटे तक चली इस उच्चस्तरीय बैठक में भारत की सैन्य तैयारियों, पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके बाद केंद्रीय गृह सचिव ने भी पीएम से मुलाकात की।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलीबारी में 13 नागरिकों की मौत और 59 घायल हुए हैं। सरकार के अनुसार, ये हताहत लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर पाकिस्तान द्वारा किए गए संघर्षविराम उल्लंघनों का नतीजा हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने राजस्थान समेत सभी पश्चिमी सीमावर्ती राज्यों में चौकसी बढ़ा दी है। सरकारी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, और कई इलाकों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। वायु क्षेत्र को भी 10 मई तक कई शहरों में बंद कर दिया गया है। सैन्य दृष्टिकोण से, मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क सक्रिय कर दिया गया है, अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत अरब सागर में तैनात कर दिए गए हैं, और सीमाओं पर इंफैंट्री यूनिट्स पूर्ण तैयारियों में हैं।
इन्हीं परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने गुरुवार सुबह 11 बजे एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में राजनीतिक दलों को ऑपरेशन सिंदूर के उद्देश्यों, सैन्य कार्रवाइयों, कूटनीतिक रणनीति और संभावित पाकिस्तानी प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई।
सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई न तो पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठानों पर थी और न ही इसका उद्देश्य युद्ध को भड़काना है। यह एक “मापी-तौली गई, लक्ष्यित और गैर-उत्तेजक” जवाबी कार्रवाई थी, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जरूरी हो गई थी। उस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत 1.05 बजे से 1.30 बजे के बीच मात्र 25 मिनट में नौ बड़े आतंकी ठिकानों पर 24 मिसाइलों से सटीक हमले किए गए। मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय और बहावलपुर में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को निष्क्रिय करना इसका प्रमुख हिस्सा था।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी संदेश दिया है कि उसकी कार्रवाई रक्षा के अधिकार के अंतर्गत थी और आतंकी ढांचों को खत्म करने के लिए आवश्यक थी। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, “हमारे कदम संयमित और रणनीतिक हैं। हमने सैन्य टकराव से बचते हुए आतंक के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाया है।” सर्वदलीय बैठक के जरिए सरकार ने विपक्ष को भरोसे में लेते हुए यह स्पष्ट किया कि सुरक्षा जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीतिक भिन्नताओं से ऊपर उठकर एकजुटता ही देश को मजबूती दे सकती है।
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