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Friday, November 14, 2025
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स्वच्छ सर्वेक्षण 2025: मदुरै देश का सबसे गंदा शहर घोषित, बड़े महानगरों का खराब प्रदर्शन

चेन्नई और दिल्ली की स्थिति भी समान है। दोनों महानगर अपशिष्ट पृथक्करण, जलजमाव और सीवरेज प्रबंधन में विफल रहे हैं।

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देशभर के शहरों की स्वच्छता स्थिति पर हर साल जारी होने वाला स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 रिपोर्ट इस बार भारत के शहरी सफाई अभियान की असमान तस्वीर पेश करता है। जहां छोटे शहरों ने स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है, वहीं देश के प्रमुख महानगर—मदुरै, लुधियाना, चेन्नई, रांची और बेंगलुरु—स्वच्छता के मोर्चे पर नाकाम साबित हुए हैं। इस वर्ष मदुरै को भारत का सबसे गंदा शहर घोषित किया गया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण क्या है

स्वच्छ सर्वेक्षण, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (अर्बन) के अंतर्गत हर साल कराया जाता है। इसमें देश के 4,000 से अधिक शहरी निकायों को निम्नलिखित मानकों पर परखा जाता है:

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • नागरिकों से फीडबैक
  • स्वच्छता और हाइजीन स्तर
  • नवाचार और श्रेष्ठ प्रथाएं

इस सर्वेक्षण का उद्देश्य शहरों में प्रतिस्पर्धा के माध्यम से निरंतर सुधार को प्रोत्साहित करना है।

2025 के सबसे गंदे 10 शहर:
रैंक शहर अंक
1 मदुरै 4823
2 लुधियाना 5272
3 चेन्नई 6822
4 रांची 6835
5 बेंगलुरु 6842
6 धनबाद 7196
7 फरीदाबाद 7329
8 ग्रेटर मुंबई 7419
9 श्रीनगर 7488
10 दिल्ली 7920
रिपोर्ट की मुख्य झलकियां:

रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्थिक रूप से सशक्त शहरों बेंगलुरु, चेन्नई और दिल्ली ने स्वच्छता रैंकिंग में बेहद खराब प्रदर्शन किया है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण, अपशिष्ट पृथक्करण की कमी और अनुशासनहीन सार्वजनिक व्यवहार को इसकी प्रमुख वजह बताया गया है।

इसके विपरीत, इंदौर, सूरत और नवी मुंबई जैसे शहर एक बार फिर “सुपर स्वच्छ लीग” में शामिल हुए हैं। इन शहरों ने प्रभावी नगर प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और नागरिक भागीदारी के माध्यम से स्वच्छता का मानक स्थापित किया है। इंदौर ने घर-घर कचरा संग्रह, रीसाइक्लिंग और जन-जागरूकता अभियानों के जरिये देशभर के शहरों के लिए उदाहरण पेश किया है।

बेंगलुरु की स्थिति को लेकर रिपोर्ट में चिंता जताई गई है। कभी “गार्डन सिटी” कहलाने वाला यह शहर अब खुले में कचरा, भरे हुए लैंडफिल और बंद नालों की समस्या से जूझ रहा है। आईटी सेक्टर के तीव्र विस्तार ने शहर के बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव डाला है।

चेन्नई और दिल्ली की स्थिति भी समान है। दोनों महानगर अपशिष्ट पृथक्करण, जलजमाव और सीवरेज प्रबंधन में विफल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दीर्घकालिक नगरीय योजना और ठोस निगरानी प्रणाली के अभाव ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण ने यह भी संकेत दिया कि अप्रबंधित कचरा, अपशोधित सीवेज और बढ़ता प्रदूषण पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। प्रदूषित हवा और पानी शहरों में बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

गंदे शहरों की रैंकिंग के पीछे कई प्रमुख कारण सामने आए हैं। अनियोजित शहरी विकास, नागरिक चेतना की कमी, गीले और सूखे कचरे का अपर्याप्त पृथक्करण, स्वच्छता उपनियमों का कमजोर अनुपालन और उपेक्षित नाले तथा भरे हुए लैंडफिल।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने कम रैंक पाने वाले शहरों को अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली सुधारने, आधुनिक कचरा प्रसंस्करण संयंत्र लगाने, निगरानी प्रणाली सुदृढ़ करने और नागरिक जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत स्मार्ट तकनीक आधारित वेस्ट ट्रैकिंग और डिस्पोजल सिस्टम विकसित करने की योजना बनाई है। रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करती है कि भारत में स्वच्छता केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि नागरिक भागीदारी और सतत अनुशासन से संभव है।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने कम रैंक पाने वाले शहरों को अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली सुधारने, आधुनिक कचरा प्रसंस्करण संयंत्र लगाने, निगरानी प्रणाली सुदृढ़ करने और नागरिक जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत सरकार अब स्मार्ट तकनीक आधारित वेस्ट ट्रैकिंग और डिस्पोजल सिस्टम लागू करने की दिशा में काम कर रही है।

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