कर्नाटक के चामराजनगर जिले स्थित एम.एम. हिल्स वन्यजीव अभयारण्य से गुरुवार सुबह एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां एक ही दिन में पांच बाघ मृत पाए गए। मृत बाघों में एक मादा बाघ (टाइग्रेस) और उसके चार शावक शामिल हैं। ये मौतें वन विभाग की सुबह की नियमित गश्त के दौरान सामने आईं। प्रारंभिक जांच में जहर दिए जाने की आशंका जताई जा रही है।
वन अधिकारियों ने बताया कि बाघों के शव एक ही इलाके में पाए गए, जिससे संदेह और गहराता जा रहा है कि यह एक जानबूझकर की गई घटना हो सकती है। मौके पर किसी प्रकार की हिंसक मुठभेड़ या शिकार के निशान नहीं मिले, जिससे यह संभावना और प्रबल हो गई है कि बाघों को किसी विषाक्त पदार्थ से मारा गया हो।
कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर खंडरे ने घटना को बेहद गंभीर बताते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, “घटना स्थल को तत्काल घेरकर संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। स्टैंडर्ड सीन ऑफ क्राइम (SoC) प्रोटोकॉल के तहत 500 मीटर की परिधि में व्यापक सबूत जुटाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के दिशानिर्देशों के अनुरूप पांच विशेषज्ञों की टीम द्वारा शवों का पोस्टमार्टम किया गया है।”
भारत में बाघ एक संरक्षित और संकटग्रस्त प्रजाति है, जिसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में रखा गया है। ऐसे में एक साथ पांच बाघों की अस्वाभाविक मौत ने न केवल वन विभाग बल्कि पर्यावरण विशेषज्ञों को भी चिंता में डाल दिया है।
स्थानीय ग्रामीणों और वन क्षेत्र से जुड़े सामाजिक संगठनों ने घटना की निंदा करते हुए दोषियों को जल्द पकड़ने की मांग की है। इस मामले में अगर जहर देने की पुष्टि होती है, तो यह वन्यजीव अपराध की श्रेणी में सबसे गंभीर माना जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है और आसपास के वन क्षेत्रों में गश्त तेज कर दी गई है। वन विभाग इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या यह किसी मानव-पशु संघर्ष या अवैध गतिविधि का नतीजा हो सकता है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघ संरक्षण के लिए चल रहे प्रयासों के बीच कर्नाटक की इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी सुरक्षा व्यवस्था इतने संवेदनशील प्रजातियों के लिए पर्याप्त है।
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