मुंबई। ठाकरे सरकार ने कोरोना के कहर के मद्देनजर स्कूलों की फीस में 15 फीसदी कटौती किए जाने की घोषणा की थी। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ठाकरे सरकार ने इस बारे में नींद से जागकर कैबिनेट की बैठक में फैसला तो लिया था, लेकिन संबंधित अध्यादेश जारी नहीं किया था। इस पूरे मसले ने अब नया मोड़ ले लिया है और सरकार में मौजूद कुछ मंत्री ही फीस में कटौती के फैसले का विरोध करते नजर आ रहे हैं। भाजपा नेता एवं विधायकअतुल भातखलकर ने तंज कसते हुए ‘ ‘जब तक पहुंचकर दावत खा न लो, न्यौता देने वाले पर कतई विश्वास मत करो ‘ वाली कहावत का हवाला देकर इस प्रकरण में ठाकरे सरकार को जमकर फटकार लगाई थी, वह बिलकुल सटीक साबित होती दिखाई दे रही है।
मंत्रियों ने ही किया बड़ी बेहयाई से अध्यादेश का विरोध
राज्य सरकार के कैबिनेट की बुधवार 11 अगस्त को हुई बैठक में कोविड रोकथाम सबंधी नियमों में कुछ रियायतों की घोषणा की गई। इस दौरान राज्य के स्कूलों की फीस में कटौती को लेकर अध्यादेश जारी होने की भी उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन ठाकरे सरकार के शामिल कुछ मंत्रियों ने ही बड़ी बेहयाई से इस अध्यादेश का विरोध किया है, जिससे इस संदर्भ में ठाकरे सरकार की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं।
दो बैठकों के बावजूद अभी तक अध्यादेश नहीं
ठाकरे सरकार की 28 जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में निजी स्कूलों की फीस में 15 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया गया था, तब मौजूदा कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया जाना था। लेकिन राज्य मंत्रिमंडल की दो बैठकों के बाद भी अभी तक इस संबंध में अध्यादेश पारित नहीं किया जा सका है। बताते हैं कि शिक्षा मंत्री ने इन बैठकों में अध्यादेश को हटाने का विरोध किया था।
क्यों नहीं हटाया अब तक मौजूदा अध्यादेश
भाजपा ने इस फैसले का विरोध जाने की कड़ी आलोचना करते हुए सवाल दागा है कि जब इस बाबत कुछ करने की सरकार की नीयत ही नहीं, तो सिर्फ फैसले की घोषणा की ही क्यों की? मौजूदा अध्यादेश को अब तक क्यों नहीं हटाया गया ?