समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आज़मी ने सोलापुर में अपने हालिया बयान को लेकर उठे विवाद पर सफाई देते हुए कहा है कि उनका बयान तोड़-मरोड़कर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि उनके शब्दों से वारकरी संप्रदाय की धार्मिक भावना आहत हुई हो, तो वे अपने शब्द पूरी तरह वापस लेते हैं और क्षमा चाहते हैं।
एक ट्वीट के माध्यम से अबू आज़मी ने कहा, “मेरी मंशा कभी भी किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। मैं एक समर्पित समाजवादी हूँ और हमेशा से हर धर्म, संस्कृति, सूफी संतों और उनकी परंपराओं का आदर करता आया हूँ।”
अबू आज़मी ने वारी परंपरा निभा रहे सभी वारकरी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह परंपरा महाराष्ट्र की सर्वधर्मीय, समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का गौरवपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने इस विरासत के प्रति अपने व्यक्तिगत सम्मान की भावना भी जाहिर की।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने वारी पालखी का उल्लेख केवल मुस्लिम समाज के साथ हो रहे भेदभाव और अधिकारों के संदर्भ में किया था। उनका कहना है कि यह किसी प्रकार की तुलना नहीं थी और उनकी नीयत न ही अनुचित थी, न ही उनकी मांग। “मेरी मंशा केवल सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना था कि उसके दोहरे मापदंड अल्पसंख्यक समाज के मन में यह भावना न उत्पन्न करें कि उनके लिए इस देश में अलग क़ानून हैं,” उन्होंने कहा।
अबू आज़मी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन – “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” – का हवाला देते हुए कहा कि यही भावना उनके वक्तव्य के मूल में थी। अपने बयान के अंत में आज़मी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे उपेक्षित समाज के हक, सम्मान और बराबरी की लड़ाई जारी रखेंगे, लेकिन कभी भी देश की एकता और अखंडता पर आंच नहीं आने देंगे।
हाल ही में सोलापुर में मेरे द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर जो गलतफहमियाँ फैली हैं, मैं उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूँ। मेरे वक्तव्य को तोड़–मरोड़ कर और दुर्भावनापूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया। यदि इससे वारकरी सम्प्रदाय की धार्मिक भावना आहत हुई हो, तो मैं अपने शब्द पूरी तरह से वापस…
— Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) June 23, 2025
बता दें की यह पहली बार नहीं है की अबू आज़मी को अपने बयानों के चलते माफ़ी मांगकर अपने शब्दों को वापस लेना पड़ा हो, इससे पहले भी अबू आज़मी ने छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या को लेकर औरंगजेब को लेकर ऐसे ही बयान दिए थे, जिससे प्रदेश के राजनीतिक हलके से कड़वी आलोचनाएं उठी थी। आलोचनओं के बाद अबू आज़मी ने माफ़ी मांगी थी।
इस सफाई के बाद यह देखना होगा कि वारकरी समुदाय और महाराष्ट्र की जनता अबू आज़मी के इस बयान को किस तरह से लेती है, क्योंकि वारी परंपरा राज्य की आस्था और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई है।
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