ईरान और इज़राइल के बीच हालिया सैन्य संघर्ष के बाद अब युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है। इस पर इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का पहला आधिकारिक बयान सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि इज़राइल ने इस सैन्य अभियान में तेहरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को खत्म करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस युद्धविराम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आभार जताया। उन्होंने कहा, “हम ट्रंप प्रशासन के समर्थन और तेहरान के परमाणु खतरे को हटाने में हमारे साथ खड़े रहने के लिए आभारी हैं।”
हालांकि, इज़राइली समाज में इस युद्धविराम को लेकर चिंता की लहर है। Hostage and Missing Families Forum ने चेतावनी दी है कि अगर ग़ाज़ा में बंधकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित किए बिना सैन्य कार्रवाई रोकी गई, तो यह एक “गंभीर कूटनीतिक विफलता” होगी।
फोरम ने सरकार से अपील करते हुए कहा, “युद्धविराम समझौते को ग़ाज़ा तक विस्तारित किया जाना चाहिए। हम सरकार से तत्काल वार्ता की मांग करते हैं जिससे सभी बंधकों की सुरक्षित वापसी हो सके और ग़ाज़ा में युद्ध का अंत हो। जो ईरान के साथ युद्धविराम करा सकते हैं, वे ग़ाज़ा में भी शांति ला सकते हैं।”
जहां नेतन्याहू सरकार इस युद्ध को एक रणनीतिक जीत के रूप में पेश कर रही है, वहीं देश के भीतर बंधकों की वापसी को लेकर तीव्र जनदबाव दिखाई दे रहा है। युद्धविराम के बाद इज़राइल में राजनीतिक और मानवीय मोर्चों पर अब भी बहुत कुछ दांव पर है। ग़ाज़ा में बंदियों की वापसी के बिना यह शांति कितनी टिकाऊ होगी, यह आने वाला वक्त बताएगा।
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