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24 अप्रैल से दौड़ेगी बिहार की पहली रैपिड रेल, पीएम मोदी दिखाएंगे हरी झंडी!

ट्रेन की अधिकतम गति 160 किमी/घंटा होगी और यह एक बार में 2000 से अधिक यात्रियों को ढोने में सक्षम होगी।

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बिहार में रेल सेवा के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। राज्य को उसकी पहली नमो भारत रैपिड रेल यानी वंदे मेट्रो की सौगात मिलने जा रही है, जो जयनगर से पटना के बीच 24 अप्रैल से दौड़ने लगेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मधुबनी के झंझारपुर में आयोजित एक समारोह में इस आधुनिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। यह ट्रेन मिथिलांचल को राजधानी पटना से जोड़ने के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को भी नई दिशा देगी।

समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम विनय श्रीवास्तव के अनुसार, यह हाई-स्पीड ट्रेन समस्तीपुर, दरभंगा, सकरी, मधुबनी, बरौनी, मोकामा और बख्तियारपुर होते हुए पटना पहुंचेगी। जयनगर से सुबह 11:40 बजे रवाना होकर यह शाम 6:30 बजे पटना पहुंचेगी। सप्ताह में छह दिन चलने वाली यह ट्रेन महज 4 घंटे 50 मिनट में यह दूरी तय करेगी, जो फिलहाल 6 से 7 घंटे लगते हैं।

इस 16 कोच वाली वातानुकूलित ट्रेन में मेट्रो जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी — जिनमें कवच सुरक्षा प्रणाली, सीसीटीवी, स्वचालित दरवाजे, हाई-स्पीड वाई-फाई, यूएसबी चार्जिंग पॉइंट, वैक्यूम टॉयलेट और एर्गोनॉमिक सीटें शामिल हैं। ट्रेन की अधिकतम गति 160 किमी/घंटा होगी और यह एक बार में 2000 से अधिक यात्रियों को ढोने में सक्षम होगी।

इसी दिन बिहार को अमृत भारत एक्सप्रेस का तोहफा भी मिलेगा, जो सहरसा से मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस तक जाएगी। यह ट्रेन सुबह 11:40 बजे सहरसा से रवाना होकर समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पटना और दानापुर होते हुए अगले दिन रात 11:30 बजे मुंबई पहुंचेगी। यह विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों, छात्रों और नौकरीपेशा यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगी।

इसके अलावा दो नई सवारी ट्रेनें — सहरसा-अलौली और बिथान-समस्तीपुर रूट पर भी शुरू होंगी। ये ट्रेनें ग्रामीण इलाकों को शहरी केंद्रों से जोड़ेंगी और स्थानीय यात्रा को सुलभ बनाएंगी। सहरसा-अलौली ट्रेन दोपहर 2:10 बजे सहरसा पहुंचेगी जबकि बिथान से रवाना होने वाली ट्रेन 1:50 बजे समस्तीपुर पहुंचेगी।

डीआरएम श्रीवास्तव ने बताया कि इन नई सेवाओं से न सिर्फ आवागमन सुलभ होगा, बल्कि उत्तर बिहार में रोजगार, शिक्षा और व्यापार के नए द्वार भी खुलेंगे। नमो भारत रैपिड रेल को प्रदेश की रेल बुनियादी संरचना का मील का पत्थर माना जा रहा है, जो मिथिलांचल की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली को नई ऊंचाई दे सकती है।

इस रेल क्रांति ने स्थानीय लोगों में भारी उत्साह पैदा किया है, जो अब पहले से कहीं अधिक तेज़ और आरामदायक यात्रा की उम्मीद कर रहे हैं। बिहार की पटरियों पर तकनीक और प्रगति का यह नया सफर आने वाले कल की रफ्तार का प्रतीक है।

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