कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के निर्णय पर पार्टी में ही गुटबाजी नजर आ रही है। कई नेताओं ने पार्टी के इस फैसले पर सवाल खड़ा किया तो कई नेताओं इसे कांग्रेस की अदूरदर्शिता बताया है। इसमें कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम, गुजरात के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस के कई नेताओं ने आलाकमान के इस निर्णय को दरकिनार के 22 जनवरी को इस समारोह में शामिल होने की बात कही है।
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राम किसी पार्टी के नहीं हैं। वे बीजेपी या आरएसएस के नहीं है। वे सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों के दिल में हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाने का फैसला नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई बीजेपी से है, राम मंदिर या भगवान राम से नहीं है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि कांग्रेस को राम मंदिर का न्योता मिलना सौभाग्य की बात है। अगर किसी दल को समारोह में नहीं जाना है तो वह आभार व्यक्त करते हुए,आभार पत्र जारी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अस्वीकार्य पत्र जारी नहीं करना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के निर्णय के बाद कहा कि श्रीराम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला है, आज दिल टूट गया।
वहीं, गुजरात के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया सोशल मीडिया एक्स पर पार्टी आलाकमान के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने लिखा भगवान राम हमारे आराध्य हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का मामला है। राम मंदिर के मामले में कांग्रेस को राजनीतिक निर्णय नहीं लेना चाहिये।
वहीं, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दो दिन पहले है 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का ऐलान किया था। इतना ही नहीं, उन्होंने समारोह में शामिल के लिए मिलने वाले न्योता के लिए आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद का धन्यवाद भी दिया है। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। और हिमाचल प्रदेश से आमंत्रित कुछ लोगों में शामिल होने पर खुद को भाग्यशाली मानता हूं।
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