ठाणे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, उद्धव ठाकरे के भाषण में सिर्फ कड़वाहट, जलन, द्वेष और सत्ता की बेचैनी झलक रही थी। कुछ नेताओं ने कहा कि उनके पास न झंडा है न एजेंडा। अगर किसी ने यह संयम दिखाया, तो दूसरे ने स्वार्थ का झंडा और सत्ता का एजेंडा खुलकर सबके सामने रख दिया। आज का कार्यक्रम मराठी जनमानस के लिए बेहद निराशाजनक रहा।”
उन्होंने आगे कहा, “तीन साल पहले हमने अन्याय के खिलाफ विद्रोह किया था। उद्धव ठाकरे को अपनी भाषा का संयम रखना चाहिए। उन्हें अच्छी तरह याद होना चाहिए कि जब मैं उठता हूं तो उसके गंभीर परिणाम होते हैं। उद्धव ठाकरे सिर्फ शब्दों का शोर हैं, साहस नहीं। वह विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हार चुके हैं और अब दूसरों के सहारे उठने की कोशिश कर रहे हैं।”
मराठी हित के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए शिंदे ने कहा, “मुख्यमंत्री रहते हुए हमने राज्य गीत को मान्यता देने का निर्णय लिया, और आज का यह कार्यक्रम उसी गीत से आरंभ हुआ।
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने सवाल किया, “उद्धव ठाकरे जवाब दें- मुंबई में मराठी जनसंख्या क्यों घटी? मराठी प्रतिनिधित्व क्यों कम होता गया? उन्होंने 2019 में बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को छोड़ दिया, और जनता ने विधानसभा में उन्हें करारा जवाब दिया।
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