महाराष्ट्र में त्रिभाषा नीति को लेकर उठे विवाद पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, “समिति बनाने वाले वही, उसमें अपने उपनेता को शामिल करने वाले वही, समिति की हिंदी अनिवार्यता वाली सिफारिश को कैबिनेट में लाने वाले वही, कैबिनेट का निर्णय लेने और उस पर हस्ताक्षर करने वाले वही… और अब उसी पर विजयी मेळावा मनाने वाले भी वही। अब बताइए, दोगलापन किसका है? ये मराठी जनता अच्छी तरह समझ रही है।”
विधानभवन परिसर में मीडिया से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि हमारी नीति स्पष्ट है — जो भी समिति मराठी बच्चों के हित में निर्णय देगी, हम उसे स्वीकार करेंगे। फडणवीस ने कहा कि मराठी भाषा पर गर्व करना गलत नहीं है, लेकिन भाषा के नाम पर मारपीट और गुंडागर्दी स्वीकार नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा,”महाराष्ट्र में मराठी बोली जानी चाहिए, यह कहना गलत नहीं है। लेकिन किसी को मराठी न बोलने के कारण पीटना पूरी तरह गलत है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कई मराठी व्यवसायी दूसरे राज्यों में रहते हैं, और वहां की भाषा उन्हें नहीं आती, तो क्या उन्हें भी इसी तरह मारा जाएगा? ऐसी गुंडागर्दी नहीं चलेगी। “अगर सच में मराठी पर गर्व है तो उसे सेवा के रूप में अपनाइए। लोगों को सिखाइए, क्लासेस चलाइए, अपने बच्चों को मराठी स्कूलों में डालिए,” उन्होंने सुझाव दिया।
फडणवीस ने यह भी सवाल उठाया कि कुछ स्कूलों में मराठी को तीसरी भाषा क्यों बनाया गया है और मनपा की ओर से ऐसे स्कूल क्यों चलाए जा रहे हैं? “जब आप खुद अपने बच्चों को ऐसी स्कूलों में डालते हैं जहाँ मराठी तीसरी भाषा है, तब आप किस मुँह से दूसरों को पीट रहे हैं?”
देवेंद्र फडणवीस ने ‘जय महाराष्ट्र’, ‘जय कर्नाटक’, ‘जय गुजरात’ जैसे नारों को लेकर हो रहे विवाद पर भी बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे नारों को स्थानीय संदर्भ में लेना चाहिए, न कि राजनीतिक हथियार बनाना चाहिए। “जब शरद पवार ने चिक्कोडी में ‘जय कर्नाटक’ कहा था, तब क्या हम कहें कि उन्हें महाराष्ट्र से प्यार नहीं है? जब एकनाथ शिंदे ने ‘जय गुजरात’ कहा तो क्या वो मराठी विरोधी हो गए?”
“मराठी व्यक्ति संकीर्ण सोच वाला नहीं होता। वह वैश्विक सोच रखता है, अटकेपार झेंडा फहराने वाला है। मुगल सत्ता को खत्म कर भगवा झेंडा दिल्ली पर फहराने वाला है,” उन्होंने गर्व से कहा। फडणवीस ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में रहने वालों से मराठी सीखने की अपेक्षा की जा सकती है, लेकिन उसे जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता।
“तमिलनाडु जाऊँ तो कोई मुझसे तमिल जबरदस्ती नहीं सिखवा सकता। वैसे ही, हम भी अपने राज्य में दुराग्रह नहीं कर सकते। भारत में रहने वाले पड़ोसी राज्य हमारे दुश्मन नहीं हैं। ये पाकिस्तान नहीं हैं। हमें इतनी संकीर्ण मानसिकता शोभा नहीं देती।”
देवेंद्र फडणवीस ने त्रिभाषा नीति पर हो रहे विवाद में जहां ठाकरे गुट के ‘दोगले रवैये’ की आलोचना की, वहीं मराठी भाषा को लेकर हो रही हिंसात्मक घटनाओं की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने मराठी के प्रति सम्मान को सेवा और प्रचार-प्रसार से जोड़ते हुए आग्रह किया कि “सच्चा मराठी अभिमान दिखाना है तो उसे हिंसा नहीं, संस्कारों से साबित करें।”
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