तीव्र सैन्य कार्रवाई और हाल ही में भारत-पाकिस्तान युद्धविराम समझौते के बाद केंद्र सरकार आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पूर्ण मंत्रिमंडल बैठक आयोजित करने जा रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की निर्णायक सफलता के बाद यह पहली उच्चस्तरीय बैठक है, जिसमें भारत की आगे की रणनीति, सुरक्षा प्राथमिकताएं और कूटनीतिक पहलुओं पर मंथन होने की संभावना है।
10 मई को घोषित युद्धविराम तीन दिन तक चले आक्रामक सैन्य अभियान के बाद आया, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया। यह एक ऐसा अभियान था जिसने पाकिस्तान की सामरिक क्षमता को झकझोर दिया और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में निर्णायक बदलाव ला दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम की पहली घोषणा करते हुए कहा था कि कूटनीतिक प्रयासों ने भारत और पाकिस्तान को एक बार फिर बातचीत की मेज तक पहुंचाया है। जबकि भारत ने अभी तक ऐसे किसी भी समझौते की पुष्टी नहीं की जिसमें डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से युद्धविराम की कोई शर्तें मान्य की गई हो। यद्यपि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी सैन्य कार्रवाई पूर्णत: आत्मरक्षा में थी और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सभी लक्ष्य स्वायत्त रूप से तय किए गए थे।
आज की बैठक से पूर्व सोमवार को पीएम मोदी ने अपने आवास पर एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक भी की थी, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, एनएसए अजीत डोवल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे। यह स्पष्ट करता है कि सरकार युद्धविराम को केवल एक अस्थायी राहत नहीं, बल्कि सामरिक बढ़त को बनाए रखने का अवसर मान रही है।
आज की मंत्रिमंडल बैठक में जिन बिंदुओं पर फोकस रह सकता है उनमें शामिल हैं – सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाना, युद्धविराम के बाद की सैन्य चौकसी, पाकिस्तान के साथ भविष्य की बातचीत की शर्तें, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक भारत की स्थिति को प्रभावी ढंग से पहुंचाना।
इसके अलावा, यह बैठक भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए वैश्विक सहयोगियों से कूटनीतिक संवाद और सैन्य तैयारी के बीच संतुलन साधने की दिशा में अहम साबित हो सकती है। युद्धविराम भले घोषित हो चुका हो, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि भारत इस बार कोई ढील देने के मूड में नहीं है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद की यह नई रणनीति भारत के आत्मविश्वास, सैन्य क्षमताओं और राजनयिक स्पष्टता का प्रत्यक्ष प्रमाण बन सकती है।
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