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Thursday, November 13, 2025
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कोलकाता में ममता बनर्जी ने निकाली ‘SIR विरोध रैली’, भाजपा ने कहा — ‘जमात की सभा’

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (3 नवंबर)को कोलकाता की सड़कों पर उतरकर चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ एक विशाल रैली का नेतृत्व किया। उनके साथ भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित हजारों तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए।

ममता बनर्जी ने इस अभियान को भाजपा-नीत केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की “मूक, अदृश्य धांधली (silent, invisible rigging)” करार देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र के खिलाफ है और मतदाताओं के अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है।

लगभग 3.8 किलोमीटर लंबी रैली डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा से रेड रोड पर शुरू होकर जोरा सांको ठाकुरबाड़ी रवीन्द्रनाथ टैगोर के पैतृक निवास तक गई। रास्ते भर पार्टी कार्यकर्ता झंडे लहराते, नारे लगाते और पोस्टर थामे SIR प्रक्रिया के विरोध में नारेबाजी करते नजर आए।

ममता बनर्जी अपने पारंपरिक सफेद सूती साड़ी और चप्पल में मार्च के अग्रभाग में रहीं। उन्होंने रास्ते में लोगों का अभिवादन किया और समर्थन जताने वाले नागरिकों से संवाद भी किया। अभिषेक बनर्जी वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ उनके पीछे चलते रहे।

विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने इस रैली को “जमात की सभा” बताते हुए आरोप लगाया कि यह “भारतीय संविधान की भावना के खिलाफ” है। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, “अगर ममता जी को कोई आपत्ति है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। राज्य में अराजकता और कानून-व्यवस्था का पूर्ण अभाव है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी “राज्य में रोहिंग्याओं को बुला रही हैं” और सवाल किया कि “क्या जनता चाहती है कि ऐसे लोगों को मतदाता सूची में जोड़ा जाए?”

SIR यानी Special Intensive Revision, चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों की गहन भौतिक जांच की प्रक्रिया है। इसमें बूथ-स्तरीय अधिकारी डुप्लीकेट, मृत, पलायन कर चुके या अवैध मतदाताओं के नाम हटाने का काम करते हैं। पिछली बार ऐसा व्यापक पुनरीक्षण दो दशक पहले हुआ था।

हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया का चयनात्मक रूप से इस्तेमाल कर गरीब और हाशिए पर मौजूद समुदायों के मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। बिहार में हुई SIR की पहली फेज में 68 लाख से अधिक नाम हटाए जाने के बाद विवाद बढ़ा था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसने कुछ संशोधनों के साथ प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी थी।

अब जब SIR का दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हुआ है, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने इसे लेकर सड़कों पर उतरकर सीधी चुनौती दी है।

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